अशआर-ख़्वाब में क्या ख़बर

 


अशआर

ख़्वाब में क्या ख़बर

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ख़्वाब में क्या ख़बर,क्या सही क्या गलत

ख़्वाब तो ख़्वाब हैं,सब सही सब गलत


साँच क्या झूठ क्या,आह क्या वाह क्या

क्या दवा क्या ज़हर,ख़्वाब है ख़्वाब है

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जीत क्या हार क्या,फूल क्या धूल क्या

नकचढ़ी जिंदगी,इक हवा और क्या


गिर गया गिर गया,फिर उठा ही नहीं

जो गिरा आँख से,गिर गया गिर गया

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इश्क़ भी ख़्वाब है,ख़्वाब से इश्क़ भी

झूठ है झूठ है,इश्क़ क्या ख़्वाब क्या


है नज़र रूप पर,रंग पर जिस्म पर

इस नज़र का असर,ख़्वाब है ख़्वाब है

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टूटते ख़्वाब हैं,ख़्वाब भी ख़्वाब हैं

आप भी ख़्वाब हैं,हम सभी ख़्वाब हैं


कौन क्या ?क्या बना,फिर रहा ख़्वाब में

ख़्वाब के ख़्वाब में,इक नए ख़्वाब में

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उम्र भी ख़्वाब है,जिंदगी ख़्वाब है

दुश्मनी ख़्वाब है,दिल लगी ख़्वाब है


शाम भी ख़्वाब है,नाम भी ख़्वाब है

मौज़ भी ख़्वाब है,पीर भी ख़्वाब है

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उम्र भी ख़्वाब है,दिल लगी ख़्वाब है

ख़्वाब में जो लगी,वह लगी ख़्वाब है


सर्वाधिकार सुरक्षित

शिव शंकर झा "शिव"

स्वतंत्र लेखक

व्यंग्यकार

शायर

१०.०५.२०२३ ११.४८पूर्वाह्न(३०५)


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