गज़ल
तेरे जाने के बाद
तेरे यूँ चुपके से चले जाने के बाद
बहुत कुछ खलता है तेरे जाने के बाद
उम्मीद दिल और ख़ामोश तन्हाइयां
सिसक पड़ती हैं यूँ अक़्सर तेरे जाने के बाद
वह मिठास मासूमियत लबों पर हँसी
याद आते हैं लफ्ज़ लम्हात तेरे जाने के बाद
उम्र क्या है बस कटती ही जाएगी
साँस बोझिल हैं आज भी तेरे जाने के बाद
जिंदगी अदाकार कलाकार ठहरी
ये पर्दा गिरता भी नहीं क्यूँ तेरे जाने के बाद
रूठना मनाना और मुस्कराना सब
अभी अभी सा लगता है तेरे जाने के बाद
टूटता दिल और मन अक़्सर
यादों के तमाचों से यूँ हीं तेरे जाने के बाद
हवा चुभती है नश्तर सी यूँ
सुकून छीन लेती है बस तेरे जाने के बाद
प्यार ऐतबार फिर चले जाना
गुमसुम दिल दर्द और मैं तेरे जाने के बाद
कभी कभी बस यूँ ही पास आ
गूँजते हैं लफ्ज़ आज भी तेरे जाने के बाद
सर्वाधिकार सुरक्षित
शिव शंकर झा "शिव"
स्वतंत्र लेखक
व्यंग्यकार
शायर
२१.०६.२०२३ १२.००पूर्वाह्न (३१८)