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थाने में अर्जी
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थाने में इक लुटा पिटा सा
घनघोर भय और
हतासा
हांफता हुआ सा
मुंह लिए
रुआंसा
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इक फरियादी आया
घुसते ही डरा
और सकपकाया
दरबान से बोला
बाऊजी
दरोगा जी बैठे हैं क्या
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पहरा बोला क्या काम है
बाऊजी रिपोर्ट लिखानी है
क्यों क्या हो गया
लूट हो गयी
सीधा जा सामने
दाएं मुड़
फिर सामने मुंशी बैठा है
उसे बता दे
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राम राम बाऊजी
मुंशी से कहा
अधजगा सा मुंशी बोला
बोल
मेरा सामान झोला
और सवा तीन सौ रुपया
पजम्मा कुर्ता
चार सूखी रोटी और आलू
का भर्ता
कुछ दूरी पर ही बदमाश
लूट ले गए हैं
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बरामदगी करा दीजिये
और प्राथमिकी दर्ज कीजिये
क्यों वे तेरा सामान
गिर गया है या
लुट गया है
सच बता कहाँ गिरा
अरे साहब गिरा नहीं लुटा
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तभी एक आवाज आयी भारी सी
अरे! मुंशी इसे यहाँ भेज
देखें कौन है
जी साहब भेजता हूँ
सामने फरियादी पहुँचा
डरा सा अधमरा सा
क्योकि उसकी असीमित पूँजी लुट गयी थी
दरोगा जी बोले
कहो ज़नाब
क्या हुआ
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लगा उसे
कि कुछ अब हित हुआ
नकाबपोश चार थे
हाथों में हथियार थे
उन्हीं ने लूट लिया
मेरी एफआईआर लिख लो
अरे भाई प्राथमिकी लिखकर
क्या क्राइम रेट बढ़वा लूँ
थाने की गुडविल खराब करूँ
और
अपनी अगले माह होने वाली
प्रमोशन रुकवा लूँ
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तुम ऐसा करो एक कागज को
मनमाफिक भरो
मय घटना क्रमानुसार
अरे! भाई
एक कागज
पर लिख दीजिये अर्जी
हम सिपाही को
मौका मुआयना
पर भेजेंगे
बरामदगी की भरसक प्रयास
किये जायेंगे
माल मिलते ही हम आपको
फोन कर बुलाएंगे
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ठीक है साहब पावती दीजिये
थाने की मोहर सहित
ताकि हम बता सकें
हम थाने आये थे
आपसे मिले
और दर्द बताए थे
अवे गुरु तुमको हमपे भरोसा नाही का
भरोसा है विश्वास है
लेकिन ये मेरा मौलिक अधिकार है
भैया मुझे पावती दीजिये
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सरकार और सरकारी तंत्र सब
जनता के पहरेदार हैं,
गुरु देखने में तुम गंवार से लगते हो
लेकिन अधिकारों की बात करते हो
साहब मैं एक शिक्षित बेरोजगार हूं
लाचार हूँ बेकार हूँ
दरोगा जी भावुक से हुए
बोले प्रमोद इधर आ
सिपाही को बुलाया
सुन उस एरिया के चोर उचक्कों को भर ला
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कुछ ही देर में सामान मिल गया
गरीब बेरोजगार का चेहरा खिल गया
हमें भी एक और आदर्श थानेदार मिल गया
जय पुलिस विजय पुलिस की आवाज आई
बेरोजगार शिक्षित
बोला
जय पुलिस जय हो मेरे भाई,
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सर्वाधिकार सुरक्षित
जयःहिन्द
शिव शंकर झा "शिव"
स्वतंत्र लेखक
व्यंग्यकार
२३.०६.२०२१ समय प्रातः०८.०२ बजे
प्रकाशन तिथि ०१.१०.२१
Very good
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