कविता(रक्त)



कविता
रक्त

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वह रक्त धमनियों में किस मतलब का,         जिसमें उबाल का नाम नहीं। 

वह शौर्य शक्ति किस मतलब की,               आ सके राष्ट्र के काम नहीं। 

वह बल,वैभव किस मतलब का,            मिल सके जाति को लाभ नहीं। 

----------------------------                    वह शक्ति ज्ञान किस मतलब का,             जिसमें शिष्ट आचरण नहीं। 

वह मानव ही किस मतलब का,           आ सके मनुज के काम नहीं।

वह धन दौलत किस मतलब की,              ला सके एक मुस्कान नहीं

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वह मित्र प्रेम किस मतलब का,              पढ़ सके मित्र का दर्द नहीं। 

वह परिणीता किस मतलब की,                   जिसमें पतिप्रेम की चाह नहीं।

    वह सगा भाई किस मतलब का,               जिसके ह्रदय में प्यार नहीं । 

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वह शिष्य गुरु किस मतलब का,                       जिसमें निष्ठा और त्याग नहीं।         

वह लेखन ही किस मतलब का,                जिसके शब्दों में धार नहीं। 

--------------------------------                ।।जयःहिन्द।।

शिव शंकर झा "शिव"

स्वतंत्र लेखक

व्यंग्यकार

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