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एक
दल तो
दल.
दो दल मिले
तो दलदल.
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जितना
खींचोगे
पैर बाहर.
दलदल और खींचेगा
अपनी ओर.
फँसाने हेतु
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भृष्टाचार
महगाई
भय
भूख
बढ़ाएगा
अपनी भूख मिटाएगा.
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दलदल
सदैव सर्वग्राह्यी है
कितने दल
दल हैं?
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सभी तो आजकल
होते
जा रहे
दलदल हैं?
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शिव शंकर झा "शिव"
स्वतंत्र लेखक
व्यंग्यकार
शायर
बहुत शानदार
जवाब देंहटाएंThanks dear
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