💐इंसान जिंदा होना चाहिए!💐
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पतंगें बारिश में उड़ाने का शौक रख,
उनके अंदर अपने रहने का खौफ रख,
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यूं तो बहुत आये गए सुपुर्दे खाक हुए,
पत्थर पर निशान बने ऐसी धाक रख,
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हमें मंजूर नहीं झुक कर सलाम करना,
जिंदा है गर तो जिंदा होने का रौब रख,
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समंदर के अंदर बेशक भयंकर ग़दर हो,
आँधियों में चिराग जलाने का हुनर रख,
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वह नहीं चाहेगा तेरा बजूद रहें जमाने में,
तुझे खुद ताकत लगानी है पार पाने में,
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मेरी जिद है अब इंसान जिंदा होना चाहिए,
गलत के समाने डटे बेखौफ होना चाहिए,
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तूफान उठा है जो मौजूदा दौर जबरदस्त,
इंसानियत को जिंदा रखने का यतन कर,
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तेरे हिस्से की सांसें तुझसे कौन छीनेगा,
जमीर जिगर जज्बात सही बात याद रख,
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चिंगारियां मसालें हों गयी कोई फिक्र नहीं,
दहकती आग में'धधक'जीने का सब्र रख,
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मौत के खौफ से सच कहना ना छोड़ देना,
कहीं अंत से पहले तू हथियार ना छोड़ देना
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कश्तियाँ समंदर से कह रहीं हैं सामना कर,
पीछे से नहीं आ खुलकर सामने से वार कर
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अब समंदर का रुआब घमंड तोड़ना होगा,
बहुत नशा है बहम है नशा छोड़ना होगा,
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उनके पैरों से जमीन खींच सकता है तू भी,
बस एक बार हुंकार जोरदार तरीके से भर,
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रुखसत होना ही एक दिन तुझे भी मुझे भी,
चल सच कहें खुलेआम वार जोरदार कर,
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सफर पर तू भी है और मैं भी सुन मेरे दोस्त
हिसाब किताब बाहिसाब साफ साफ कर,
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जिंदगी बेशक बहुत छोटी रहे रन्ज नहीं,
तोहमत वेबफाई फरेब हरगिज मंजूर नहीं,
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शिव शंकर झा "शिव"
स्वतन्त्र लेखक
व्यंग्यकार
शायर
०४.०२.२०२२ ०१.१५ पूर्वाह्न मध्यरात्रि
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