रोको महंगाई?
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राजनीति बिन पेंदी के लोटे जैसी गोल,
अगर सत्ता में तब बिल्कुल चुप,
नहीं तो हल्ला बोल, विपक्ष भी खिलाड़ी ठहरा,
उसका भी था पुराने बयानों पर पहरा,
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अब तो विपक्षी महोदय टैग कर गए,
शब्दों से तीक्ष्ण प्रहार कर डर भर गये, हम भी आपके साथ बिरोध करेगें, डीजल,पेट्रोल चीनी,दाल,चावल,आटा,दूध,
ढुलाई भाड़ा,आदि आदि की मूल्य बृद्धि,
रोकने का हुकूमत से अनुरोध करेगें,
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अगर नहीं रोक पाए बढ़ती महंगाई,
तो हम भी इसी हथियार का प्रयोग करेगें,
हमें सरकार में लाइये,
महंगाई, भूख,भ्र्ष्टाचार से मुक्ति पाइए,
सुनो सत्ता पक्ष के सुनो! समय घूमता है पहले तुम करते थे,.
हल्ला बोल, सिर पर रखकर सिलिंडर, गोल गोल,
अब हम भी आबाज उठाएंगे
महंगाई को तुम्हारे साथ भगाएंगे
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जनता वही है पुरानी वाली,
जिसके हाथ से सरक रही है थाली,
जिसका साथ देने का वादा किया था, महगाई कम करने का झांसा दिया था,
गुमराह करके वोट ले गए,
उपहार में महगाई का घना तोहफा दे गए,
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आजकल
अपनी जेब खूब भर रहे हो सरकार,
सड़कें खुदबाने का दौर जारी है
टूटती सड़के,
फिर बनती सड़कें,
फिर बनी हुई उखड़ती सड़कें,
ये उगाही का क्रम अनवरत जारी है,
मतदाताअसमंजस में,
ये तो पहले से ज्यादा भारी है,
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भैया सुनो,
ए भैया सियासतदान सुनो,
कुछ हमारी भी जेब भर दो,
तनिक हमारा भी दर्द कम कर दो,
महगाई कम कर दो,कम कर दो,कम
नाट्यकला के महारथी हो तुम,तुम,तुम,
चाहे सत्तासीन हो, या हो जाये सत्ता विहीन, दो हजार तेरह से पहले तुम भी,
महगाई के विरोधी थे, अब आप लगते हो वादा भूल गए,
आपके वादे भी क्या फंदे पर झूल गए
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देश की जनता को उल्लू समझने की भूल मत कीजिये जनाब,
आपका भी होगा?
चबन्नी चबन्नी पाई पाई का हिसाब,
बोरी,
बिस्तर,
खटिया,
टटिया,
टेबल कुर्सी,
सब और सब बंधवा देगी जनता, जहां आजकल हम बैठें हैं, वही आपको पहुंचा देगी जनता,
आम आदमी अत्यधिक त्रस्त है,
दूसरा
"आम आदमी" सरकार में व्यस्त है, अब हमें न किसी दल पर भरोसा, और ना किसी के वादों पर, गरीब का चूल्हा अस्त व्यस्त है,
जनता त्रस्त है त्रस्त है त्रस्त है,
हुक्मरान मस्त है मस्त है मस्त है,
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शिव शंकर झा "शिव"
स्वतन्त्र लेखक
व्यंग्यकार
शायर