जलाओ रावण!
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भय,भूख,भृष्टाचार का दशकंधर जिंदा है,
हे राम तेरे देश में मानवता शर्मिंदा है,
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धोखा,छल,बलात्कार दुराचार का रावण,
व्यवस्था में पनपते भ्रस्टाचार का रावण,
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रोजगार में भारी मारामारी का दशकंधर प्रभावशाली है,
महंगाई का दसकंधर बड़ा ही दम्भयुत वलशाली है,
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जातिपाँति का रावण बलवान दिख रहा है,
धर्म के नाम पर इंसान रोज बिक रहा है,
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रावण का कुनबा बलपूर्वक कुचल रहा है,
हनक और सनक से आदमी जल रहा है,
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आम आदमी रोज रोज मेरे राम मर रहा है,
दशानन की कटक का दर्प रोज बढ़ रहा है
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इंसान इंसान को लूटने की विकट चाल चल रहा है,
दशानन का कोप भाजन आम गरीब
छल रहा है,
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इतने दशानन अभी बाकी है,
सारे के सारे पापी हैं,
जिनमें हैं
लूट का रावण,
नशा का रावण,
घोर मंदी का रावण,
झूठ प्रलाप का रावण,
वादा खिलाफी का रावण,
बढ़ती बेरोजगारी का रावण,
रिश्तों में आती गिरावट का रावण,
शिक्षा में बाजारीकरण का रावण,
राजनीतिक सुचिता अधोपतन का रावण,
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मेरे राम अब एक बार पुनः कलिकाल में आइये,
इन समस्त दशकंधरों को तीक्ष्ण बाण से जलाइये
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अन्यथा ये दशानन तेरे नाम के साथ छल कर जायेगें,
हम जैसे सरल राम सेवकों को चालाकी से वरगलायेंगे,
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शिव शंकर झा "शिव"
स्वतन्त्र लेखक
व्यंग्यकार
शायर
15.10.2021 07.19 am दशहरा