शेर(इश्क)

                   


                              
।। इश्क ।।

अदद जिस्म की रंगत चमक की चाह 

में इश्क नहीं होता,

जो इश्क करते हैं दिलों से वह जिस्म

की चाह नहीं रखते,

-----------------

तुम इश्क भी करना सुर्ख सुनहरे पलों 

के साये में दोस्त,

पहले जमीन अपनी तैयार कर इस उम्र 

के दौर में,

------------------

छोटा सा दिल है सँभाल कर रख अपने हम

सफ़र के लिए,

बाजार की दहलीज पर इश्क असली

नहीं मिलते,

------------------

रोशनी बोली चिराग से क्यों जला रहे 

हो वदन,

तेरे जलते वदन की तपिस में खत लि

खते हैं लोग,

------------------

दीवानगी भी अजीब दास्ताने इश्क है

दोस्तो,

हो जाये कब किससे उम्र की सरहदें 

नहीं रहतीं,

-------------------

शिव शंकर झा "शिव'

स्वतन्त्र लेखक

व्यंग्यकार

शायर


Tags

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

buttons=(Accept !) days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !