शेर(आइना)

   


                        

आइना

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गुरूर ना कर शीशे टूट जाने की फिराक में हैं,

बहुत से जमींदोज हैं और कुछ राख में हैं,

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गरीब के हिस्से की रोटियाँ वह डकार गया,

देखने में सफेदपोश था वह चालक आदमी,

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विकास की फर्जी दौड़ में हमें कुछ और ना मिला,

हर ओर खुदा ही खुदा हर ओर खुदा मिला,

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जमीनी हकीकत देखने की जुर्रत कहाँ

 है तुझमें,

बखूबी इल्म है तेरे आने से पहले सड़क

बनाई गई है,

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कभी कभी बिना अमले और चाटुकारों बगैर

भी निकल,

औचक जांच कर ले हकीकत पैरों से जमीन

खींच लेगी,

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शब्द अर्थ(खुदा=गड्डे)

शिव शंकर झा "शिव"

स्वतन्त्र लेखक

व्यंग्यकार

शायर


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