आइना
----------------
गुरूर ना कर शीशे टूट जाने की फिराक में हैं,
बहुत से जमींदोज हैं और कुछ राख में हैं,
--------------------–---
गरीब के हिस्से की रोटियाँ वह डकार गया,
देखने में सफेदपोश था वह चालक आदमी,
------------------------
विकास की फर्जी दौड़ में हमें कुछ और ना मिला,
हर ओर खुदा ही खुदा हर ओर खुदा मिला,
------------–-----------
जमीनी हकीकत देखने की जुर्रत कहाँ
है तुझमें,
बखूबी इल्म है तेरे आने से पहले सड़क
बनाई गई है,
------------------------
कभी कभी बिना अमले और चाटुकारों बगैर
भी निकल,
औचक जांच कर ले हकीकत पैरों से जमीन
खींच लेगी,
------------------
शब्द अर्थ(खुदा=गड्डे)
शिव शंकर झा "शिव"
स्वतन्त्र लेखक
व्यंग्यकार
शायर
Bhadhiya hai
जवाब देंहटाएं