(कारबां)
तू कारवाँ और सफर साफगोई से चल
धूल की आदत है सिर पर सवार होने की,
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जिंदगी गजब की चाल में माहिर किताबसी है,यहां हर एक पन्ना बड़ा ही साजिशीसा है,-----------नजरों को झुकाने की आदत अब छोड़नीहोगी,कभी कभी ज्यादा अदब भी नुकसानदेह है,-----------हर ओर हर मंजिल पर मोहरे लिए खंजरखड़े हैं,ताक में है पैबस्त खंजर कैसे करें सीने केपार,---------यहाँ तेरे कदमों की ताकत गैर के बूते नही बढ़नी,
तू अपनी ताकत को बढ़ाने की जिद्द
जारी रख,
-------------कोशिशें जारी रहेगीं साजिशों कीपुरजोर,तू अपनी पैरबी कमजोर ना करदेना हारकर,-------------सिंह सी नाद बना कर रख अदब केसाथ,सफर की हर डगर पर नजर रखनाजरूर,-------------शिव शंकर झा "शिव"स्वतंत्र लेखकव्यंग्यकारशायर
ye bullet point sirf wahi par lgana jhan ek nhi line start ho rhi ho tab jyada achcha lgega
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