शेर(हंसते हुए चेहरे अब नजर नहीं आते)

 


【हंसते हुए चेहरे】

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अजीब सन्नाटा पसरा हुआ है दौरे जहां में,

हंसते हुए चेहरे अब नजर नहीं आते,

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प्यार कभी भी भूख नहीं रखता जिस्म की,

जो इसे रखे वह इश्क की तौहीन है यारो,

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जवानी जिंदगी भर तो नहीं रहनी यारो,

हक अदब के साथ पुरजोर आबाज तो दो,

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गले में बांह डालें संभाले चलो सनम को तुम,

शौक है इसका दिल बदल बदल के खेलना,

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तुम्हें नसीब कुछ नहीं होगा पैर चप्पी से,

तू अपनी हनक पैदा कर मौजूदा दौर में,

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किताबें गुफ्तगू करती रही दिल के आईने से,

दगा करने बाले सबक नही लेते किताबों से,

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शिव शंकर झा "शिव"

स्वतन्त्र लेखक

व्यंग्यकार

शायर


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