हवा
पैनी हुईजहरीली हुईलेकर सरसराहट,चाल,छल और छद्म,से पूरित
हो गयीचुनाव की आहट
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सज्ज हो रहे हैं
शतरंज के
मोहरे
शह मात देने की रणनीति
हराने की
भरपूर कोशिश
जनता को लुभाने की नीति
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बादलों की घटाटोप
ध्वनि से नेता
गड़गड़ायेगे,
कुछ विशेष योग्य
उम्मीदवार नजर आएंगे
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जिसमें
होगें
कुछ दागी
कुछ दलभागी
कुछ अपराधी
कुछ दलबदलू
कुछ मौकापरस्त
कुछ भ्र्ष्टाचार से लिप्त
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कुछ धर्म के नाम पर
छल करने वाले आएंगे,
कुछ जातिवाद का गणित जुटायेगें
भरपूर
जातिवाद का
जहर फैलाएंगे
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और
यही बाद में
जातिवादमुक्त
समाज की मांग उठाएंगे
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राजा
बने कोई
रंक के दिन
सुनहरे नजर नहीं आएंगे
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सफेद
कुर्तों पर
लगे दाग साफ
बेवाक दिख रहे हैं
खुलेआम अपराधी टिकट पा रहे हैं,
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झूठ
लूट
धोखा में अनुरक्त
जनता के सेवक खादीधारी
दिव्य
ज्ञान की घुट्टी
रैलियों के द्वारा
पिलायेगें
जयकारों की गूंज
होगी,
विजय की शंखनाद होगी
और भाग जायेगे,
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पुनः
फिर पांच वर्ष के
बाद ही
महा
मनुज नजर आयेगें
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शिव शंकर झा "शिव"
स्वतंत्र लेखक
व्यंग्यकार