* माँ *
-------------------- माँ तुम बहुत याद आती हो,
कभी कभी सपने में पास आ मुस्कराती हो, कर्णपटो पर सुमधुर ध्वनि गुनगुनाती है,
माँ तुम्हारी याद बहुत आती है,
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माँ आपका सानिध्य किसी वटबृक्ष से
क्या कम था,
तुम्हारी आँचल की छांव में स्नेह में ना
कतई गम था,
माँ तेरी आबाज खूब मीठी थी डांट में
बहुत दम था,
आज जब हम बड़े से हुए लगते हैं तेरी
याद के पन्ने सरकते हैं,
तू कनखियों से खिड़कियों से खुले गगन
से महसूस होती है,
लेकिन जब नींद खुलती है तू ना दिखे तब आंख रोती हैं,
---------------------- कभी कभी नहीं बहुत बार मेरी गलतियां
छुपाती थी माँ, हमें बचाने के चक्कर में बाबूजी की डांट
खाती थी माँ, माँ तेरा डांट सहित जबरन बेला भर दूध
पिलाना याद है मुझे, कई कई बार गलती मेरी रही पर स्नेहिल
भोजन कराना याद है मुझे, माँ खुरचन और रबड़ी का स्वाद याद
आता है बारबार, माँ जब मैं शिक्षा जगत में अनुत्तीर्ण हुआ
था एक बार,
--------------------- तब तुम्हारी थपकी जादू का काम
कर गयीं थी,
उत्तीर्ण हुआ अधिक अंक साथ जेब
भर गयीं थी,
आंगन में खुले गगन के तले जब हम
निंद्रा मगन होते थे, खुले गगन में हल्की सर्द में पतले पिछोरा
के साथ सोते थे,
-------------------- तब माँ कहती अरे सुन तेरे लिए कम्बल अजबान के पास रखा है ओढ़ लेना,
हम कभी कभी जानबूझकर या यूँही ओढ़ना भूल जाते थे,
माँ सनेह में सनी रात में जगती और
पास आती,
कम्बल और पिछोरा अच्छी तरह मुझे उड़ा
जाती,
माँ थारी डांट डपट क्या किसी स्वर्णपदक से कम थी,
माँ थारी सीख भरी थपकी मेरे लिए क्या
सबक से कम थी,
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थारी बहुत याद आती है माँ ना सिर पर कोई
फेरता सस्नेह हाथ,
ना थपकी,ना डांट,अब बड़े हो गये कौन पूछे
बात,
बहुत कमजोर हो गया है बेटा पूछने की
आदत थी माँ,
माँ सबसे बड़ी धरोहर है थाती है,
माँ कोरे कागज पर स्नेह सनी पाती है,
माँ पूर्ण है सम्पूर्ण है महान है,
माँ अभिमान है ज्ञान है वरदान है,
माँ शक्ति है दया है मुस्कान है,
माँ अपरिभाषित है,
माँ दिव्य पुंज है,
माँ गीत है संगीत हैं,
माँ सन्तान का हितसाधक मीत है,
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माँ के विशाल व्यक्तित्व को कलम
कहां लिख सकती है,
शिव शंकर झा "शिव"की ताकत बुद्धि
मेधा माँ का उपहार है, माँ तू कब से मेरे बीच नहीं दिल जार
जार लाचार है,
माँ आपको करबद्ध चरणवंदन है,
आपकी आशीष का मस्तिष्क पर
दमकता चंदन हैं, माँ ओ माँ तुम्हारे श्रीचरणों में
कोटिशःवंदन है
--------------------- जयःहिन्द
शिव शंकर झा"शिव" स्वतंत्र लेखक
व्यंग्यकार
Bahut badhiya
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