स्मृति गीत(नहीं तुम मुस्कराए हो)

                        


      स्मृति गीत

(नहीं तुम मुस्कराए हो) 

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तुम स्मृतियों के आंचल की अछोर दुनियां में समाए हो,

तुम ह्रदय पटल पर प्रेम और वेदना का दर्द लाये हो,

अखरती हैं सभी रातें दिनों की गूंज प्यारी सी,

बहुत दिन हो गए प्यारे नहीं तुम मुस्कुराए हो,

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गमों और आह का घनघोर सन्नाटा दिए हो तुम,

कहाँ हो किस धरा के छोर पर प्यारे कहाँ हो तुम,

हताशा दर्द पैनापन घना कांटों नुमा जीवन, 

मेरे अंतश के कोरों में सखा तुम अधिक लाये हो,

बहुत दिन हो गए प्यारे नहीं तुम मुस्कराए हो

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ह्रदय रखता हूँ सीने में सलोने याद के किस्से, 

कहूँ किससे तुम्हारे और अपने अनकहे किस्से,  

समाती हैं हिलोरें यूँ समंदर के किनारे पर, 

मेरे दिल के झरोखों में घनीआंधी को टकरा कर, 

गए छुप गगन मंडल में नहीं तुम नजर आए हो,

बहुत दिन हो गए प्यारे नहीं तुम मुस्कराए हो

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सुखद मंजर का खंजर सा मुझे दे दूर जा बैठे,

अकेले वैठ मरघट में बहुत तुम गुनगुनाते हो, 

कभी तो आऊँगा मैं भी करूंगा बात फिर तुमसे,

कसर क्या हो गयी हमसे सजा दे दे रुलाये हो,

बहुत दिन हो गए प्यारे नहीं तुम मुस्कराए हो, 

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शिव शंकर झा "शिव"

स्वतन्त्र लेखक

संस्थापक-

जी.के.मैमोरियल फाउंडेशन

(सड़क दुर्घटना में घायलों को समर्पित फाउंडेशन)

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