शेर(हवा का रुख)

 

शेर(हवा का रुख)

【हवा का रुख】
-----------

हवा का रुख कुछ नासाज सा है आज 

कल सुनो,

काफी मसक्कत के बाद भी दो जून के

लाले पड़े,

-----------

बड़े ही शौक से चलते हो चम चमाती

सड़क पर,

उस गली की तरफ भी चल जहां दल

दल बहुत है

------------

तेरे रुतबे के किस्से रोज गूंजते है यहां

वहां ,

कभी फुर्सत निकाल जमीनी हकीकत

भी देख,

------------

कभी औचक जांच की हिम्मत जुटा कर देख भाई,

फाइलों पर धूल औऱ गरीब की लाचारी समझ जाओगे

----------

हमें तेरे मुफ्त के तोहफों से सख्त नफरत है जनाब,

रोजगार दे रोजगार दे महंगाई को दूर करके दिखा,

----------

हमें लाचार और मजबूर ना बना बादशाह,

हम खुद्दार हैं खुद्दार ही रहने में मदद कर,

---------

हमें हुकूमत से मुफ्त में आटा देकर मजबूर

ना बना,

हमें रोजगार दे दे इतनी गुजारिश है तुझसे हुक्मरान,

---------

शिव शंकर झा "शिव"

स्वतंत्र लेखक

व्यंग्यकार

शायर







Tags

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

buttons=(Accept !) days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !