व्यंग्य(सांसद खेल स्पर्धा)
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भीजेपी करा रही है सांसद खेल स्पर्धा,
डाल रही है बेरोजगारी पर काला पर्दा,
खोखो कबड्डी खिलाई जा रही है,
इसमें भी सत्ता पाने की गंध आ रही है,
युवा वोट पाने की जुगाड़ में हो,
हम जानते हैं तुम कितने आड़ में हो,
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महंगाई की कहानी भुलाना चाहते हो,
तुम जनता को बरगलाना चाहते हो,
बेगारी बेरोजगारी रोज बढ़ रही है,
गरीबी की इंडेक्स चढ़ रही है,
युवा वोटरों को है लुभाना,
मकसद वोट पाना,
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कर रहे हो खूब खूब शिलान्यास,
बेरोजगार को है रोजगार मिलने की आस,
नारे नीतिअनीति से सराबोर हो रहे है,
हर ओर शोर घनघोर हो रहे हैं,
रैलियों का घनघोर जाल बिछ रहा है,
महगाई से आम आदमी पिस रहा है,
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शानदार प्रबंधन गुरू है आप मान गए,
हम भी महागुरु हैं राजनीति जान गए,
तुम स्पर्धा कराओ रोज कराओ,
खूब बयानों की बहार लगाओ,
पेट्रोल बढ़ायी तीस रुपये से ज्यादा,
चार पांच कम किये शानदार इरादा,
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जब जब महगाई बढ़ती है
तब तब ब्याजदर भी चढ़ती है,
अब ऐसा कुछ भी बचा नहीं,
जिसको तुमने महंगा किया नहीं,
कलम दासता की बेड़िया तोड़ चुकी है,
धुंआधार दमदार व्यंग्य बाण छोड़ चुकी है,
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श्रीमान खूब कराओ स्पर्धा पर स्पर्धा,
हटा दो लगा हुआ महगाई का पर्दा,
अब सौ दिन की राजगद्दी शेष है,
फिर कौन क्या ये विशेष है,
कुछ विशेष लगे थे सबसे आप,
जनता करती करुण विलाप,
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शिव शंकर झा"शिव"
स्वतन्त्र लेखक
व्यंग्यकार
शायर
23.11.2021 10.05pm