...प्रतिष्ठान पर रेड…
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दुकान पर चार पांच लोग आए,
देखा और मुस्कराए,
व्यापारी का चेहरा खिल गया
बहुत दिन बाद ग्राहक मिल गया,
दुकानदार ने अभिवादन किया
चलो ग्राहक आया,
कुर्सी पर बैठने का इशारा दिया
ठंडा जल परोसा,
उसे था बोहनी होने का पूरा भरोसा,
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वह भी एक सांस में गट्ट गट्ट जल पी गए,
कुर्सियों पर सवार हुए मानो जी गए,
व्यापारी खुश हुआ,
चलो बोहनी का जुगाड़ हुआ,
चलो बहुत दिन बाद ग्राहक तो आये,
दोनों ओर से राम राम हुई मुस्कराए,
बताइये साहब
क्या दिखाऊँ क्या चाहिए,
उन पांच में से एक बोला
खाते बहीखाते दिखाइए,
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क्या कहा आपने व्यापारी ने प्रश्न दागा,
अधिकारी बोला
तरेर कर आंखों का गोला,
सुनाई नहीं दिया व्यापारी महोदय
साहब ने क्या बोला,
मातहत हनक में था
सरकारी नौकरी की सनक में था,
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व्यापारी की नजर में वह असरकारी था,
रोजगार पर घोर मंदी का दौर जारी था,
सेठ जी हम जीएसटी विभाग से आये हैं,
जांच का फरमान सर्वे के साथ लाये हैं,
बहीखाते दिखाइए
रहतिया रजिस्टर लाइये,
व्यापारिक,लाभःहानि खाता,
आर्थिक चिट्ठा सहित दिखाइए,
ओके साहब मैं बहीखाते लाता हूँ
घर जाता हूँ,
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क्या कह रहे हो दुकान पर नहीं रखते खाते,
लेखाकार के घर रहते हैं वह साथ ले जाते,
ठीक है जाइये जल्द से जल्द लौटकर आइये,
ये गल्ले की चाबी और दर बुक संभालिये,
कुछ ग्राहकी करना आप गद्दी संभालिये,
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जल्द से जल्द आना समय ज्यादा
ना लगाना,
कर अधिकारी ने रुआब से कहा,
व्यापारी ने हुकम के हुक्म को सहा,
ठीक है साहब जल्द से जल्द आऊंगा
आय व्यय लाभःहानि सब दिखाऊंगा,
व्यापारी सुबह का गया शाम तक नहीं आया,
अधिकारी का माथा घूमा और सिर चकराया,
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सहसा सामने से तेज कदमों से
व्यापारी आता दिखाई दिया,
अधिकारी बोला बहीखाते लाये,
इतना समय क्यों और कहां लगाए,
आप एक बात बताइये
कितने की बिक्री की दिनभर में दिखाइए
व्यापारी बोला सुबह से शाम तक कितने
ग्राहक आये,
कोई नहीं आया अधिकारी बोला
अब व्यापारी भन्ना कर गुस्से से बोला,
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यही हाल हो गया विगत कुछ वर्षों से भैया,
डूब गई लघु व्यापारी की अधर में नैया,
छोटा व्यापारी खतम सा ही है इस दौर में,
जब बोहनी नहीं तो खाते कहाँ से लाएं,
कहाँ से टैक्स भरे कैसे घर चलाएं,
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हम रोज घुटन और जिल्लत से जी रहे है,
व्यापार होता चौपट खून का घूंट पी रहे हैं।
अधिकारी के माथे पर बल पड़ा,
वह अपने मातहतों के साथ बाहर चल पड़ा,
बोला ठीक है सेठ जी दर्द तुम्हारा जान गए
बाजार चौपट है आज हम भी मान गए,
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शिव शंकर झा "शिव"
स्वतंत्र लेखक
व्यंग्यकार
शायर
मानवाधिकार कार्यकर्ता
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