★कदम ये रुकने ना पाए★
१. कदम ये रुकने ना पाए
शीश ये झुकने ना पाए
कूट जालों का है पहरा,
है घना बेशक अंधेरा,
हर तरफ दलदल है गहरा,
पैर पर धंसने ना पाए,
कदम ये रुकने ना पाए,
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२. हो अगर आंधी भयंकर
काल जैसा हो बबंडर
मौत का फरमान लेकर
काल का भी दूत आए,
भय ना तेरे उर समाए,
पैर पर धंसने ना पाए,
कदम ये रुकने ना पाए,
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३. चाल हो बिकराल बेशक
शत्रु बन आए सकल गर
चाल का काला समंदर,
लूटने को प्राण ततपर,
कदम ना ये डगमगाए,
पैर पर धंसने ना पाए,
कदम ये रुकने ना पाए,
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४. पत्थर से पानी खींचने का
वंजर जमीं को सींचने का
तेरे मन मे जिद ये आए,
जीत का युग गीत गाये,
हर मनुज उर मुस्कराए,
पैर पर धंसने ना पाए,
कदम ये रुकने ना पाए,
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शिव शंकर झा "शिव"
स्वतन्त्र लेखक
व्यंगकार
शायर
१३.१२.२०२१ ०९.०५ सु.
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