(सपनों की उड़ान)
-------
१.जागता हुआ ख़्वाब देखता हूँ मैं,
सोचता हूँ वक्त जाया ना चला जाए,
-------
२.जंग जीती गयी देर से वेशक,
मगर पेशानी पर गुरूर है हारे तो नहीं,
-------
३.सपना पूरा एक बार में ना हुआ तो क्या,
मैंने हार कर हथियार तो नहीं डाले,
--------
४.मैं चलता रहूंगा सफर शिद्दत के साथ,
मैं हारने वाला मुसाफिर नहीं जान लो,
-------
५.खामोशियां मेरी देखकर बहुत खुश है तू,
इल्म रहे इसकी आबाज दूर तलक जाएगी,
-------
६.जिस्म में आखिरी बूंद भी रहेगी लहू की,
उफ तक नहीं होगी आखिरी दम तक,
-------
७.सपना जागकर देखना सीख ए आदमी,
नींद के सपने ख्वाब ही रह जाते हैं अक्सर,
--------
८.सरोकार मिट्टी से गहरा है मेरे दोस्त,
कफ़न गर तिरंगे का मिले तो बात बने,
-------
९.थकान को सपनों की उड़ान तक ना
आने दे,
जीत जाएगा तू गर ख्वाब ख्वाब ना रहे,
-------
१०.कामयाबियाँ पीछे और पीछे आयेगीं
एक दिन,
वस तू तो सफर पर पूरी शिद्दत से चलता
चल,
---------
शिव शंकर झा "शिव"
स्वतन्त्र लेखक
व्यंग्यकार
शायर
०१.०१.२०२२ ५.४५ शा.
--------
This is very impressive dear
जवाब देंहटाएं