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बेखौफ खौफ से हरदम,हरवक्त,लबरेज
रहना सीख लो,
सही को सही गलत को गलत सीने पर
कहना सीख लो,
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हाँ उन्हें गुरूर,दौलत का होगा,होना भी
चाहिए जरूर,
पता करो अदद सांस खरीदने की औकात
है क्या आज भी,
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दौलत का गुरूर तारतार हो गया झटके में
उसका एक दिन,
वह बहुत मुफ़्लिशी में रहा औलाद के होने
के बाद भी,
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गुरूर बेशक करो मगर इल्म रहे हर दौर
हर वक्त,
किसी सच्चे इंसान का दिल ना दुखा देना
भूल कर,
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वह हमें गले लगा रहा है या जता रहा है पता करो,
खबर है वह मगशूल है तेरा बजूद,हस्तियां मिटाने में,
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तेरी अदाबत दुश्मनी हमसे तो नहीं थी मेरे
खयाल से,
फिर क्यों तू चारो ओर रंजिश से तरबतर
हो बोलता है,
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वे सहम जाते हैं पाकर मुझे महफ़िल में
अक्सर यूँ हीं,
उन्हें डर तो नहीं कहीं चेहरे से नकाब यूँ
हीं ना हटा दूँ,
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उन्हें नागबार गुजरती हैं मेरी तकरीरें मेरी बातें,
वे मेरे खुलेआम बेखौफ बोलने से डरते हैं,
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तू अपनी शोहरत दौलत संभाल के रखना सलीके से दोस्त,
खबर है कोई इसे तारतार करने को वक्त हरवक्त खोजता है,
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तेरी हरकतों तेरी वादाख़िलाफियों का शोर बहुत ज्यादा है,
क्यों अपना बजूद खुदबखुद मिटाने पर आमादा है,
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वह गले तो लग गया तपाक से आकर एकदम,
मगर दिल में बड़ी टीस थी वह छुपा ना सका,
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खुशकिस्मती थी उसे उसका यार मिला,
बहुत अरसे के बाद उसे प्यार मिला,
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हनक रुआब शौहरत में बहुत मगरूर है,
पता है तू दिल तोड़ने में माहिर है मशहूर है,
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शिव शंकर झा "शिव"
स्वतन्त्र लेखक
व्यंग्यकार
शायर
२६.०१.२०२२ १०.३४ अपराह्न