शेर(खौफ से बेख़ौफ़ रहो!)

          
खौफ से बेखौफ रहो !】

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बेखौफ खौफ से हरदम,हरवक्त,लबरेज

रहना सीख लो,

सही को सही गलत को गलत सीने पर

कहना सीख लो,

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हाँ उन्हें गुरूर,दौलत का होगा,होना भी 

चाहिए जरूर,

पता करो अदद सांस खरीदने की औकात

है क्या आज भी,

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दौलत का गुरूर तारतार हो गया झटके में

उसका एक दिन,

वह बहुत मुफ़्लिशी में रहा औलाद के होने

के बाद भी,

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गुरूर बेशक करो मगर इल्म रहे हर दौर

हर वक्त,

किसी सच्चे इंसान का दिल ना दुखा देना

भूल कर,

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वह हमें गले लगा रहा है या जता रहा है पता करो,

खबर है वह मगशूल है तेरा बजूद,हस्तियां मिटाने में,

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तेरी अदाबत दुश्मनी हमसे तो नहीं थी मेरे

खयाल से,

फिर क्यों तू चारो ओर रंजिश से तरबतर

हो बोलता है,

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वे सहम जाते हैं पाकर मुझे महफ़िल में 

अक्सर यूँ हीं,

उन्हें डर तो नहीं कहीं चेहरे से नकाब यूँ 

हीं ना हटा दूँ,

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उन्हें नागबार गुजरती हैं मेरी तकरीरें मेरी बातें,

वे मेरे खुलेआम बेखौफ बोलने से डरते हैं,

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तू अपनी शोहरत दौलत संभाल के रखना सलीके से दोस्त,

खबर है कोई इसे तारतार करने को वक्त हरवक्त खोजता है,

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तेरी हरकतों तेरी वादाख़िलाफियों का शोर बहुत ज्यादा है,

क्यों अपना बजूद खुदबखुद मिटाने पर आमादा है,

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वह गले तो लग गया तपाक से आकर एकदम,

मगर दिल में बड़ी टीस थी वह छुपा ना सका, 

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खुशकिस्मती थी उसे उसका यार मिला,

बहुत अरसे के बाद उसे प्यार मिला,

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हनक रुआब शौहरत में बहुत मगरूर है,

पता है तू दिल तोड़ने में माहिर है मशहूर है,

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शिव शंकर झा "शिव"

स्वतन्त्र लेखक

व्यंग्यकार

शायर

२६.०१.२०२२ १०.३४ अपराह्न

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