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जिंदगी तू अजब गजब किताब सी है,
तू कठिन सरल महीन पूर्ण हिसाब सी है,
तू वक्र भी द्रुत भी गूढ़ भी बेशकीमत भी,
रिश्तों की खटास मिठास मय हकीकत भी ,
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तू दिलरुबा है,तू दिल लगी है,तू दिल्लगी भी,
तू महकती अदा सच्ची बफा तू ही सगी भी,
तेरी मोहब्बत इश्क सबसे जुदा सबसे हसीन,
तू मेरे दिल की रानी तू ही है सांची आफरीन,
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तू कभी प्यार इतना उड़ेल देती है बेशुमार,
और कभी कभी दिल कर देती है तारतार,
फिर भी तेरी हसीन अदाओं पर फिदा हूँ,,
तू इश्क है अश्क है मैं कहाँ तुझसे जुदा हूँ,
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तेरी महीन धागों की तुरपाई कुछ कहती है,
कभी शांत कभी क्लान्त कभी चुप रहती है,
तेरी हर एक सफर पर बारीक नजर रहती है,
तेरा हिसाब सटीक है बाखबर सदा रहती है,
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कभी बहुत सुकून से तरबतर होती है,
कभी सकून उड़ा सकून से मस्त सोती है,
तेरी इसी अदा के हम हो गये दीबाने हैं,
सनम तुझसा कोई नहीं हम तेरे परवाने हैं,
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शिव शंकर झा "शिव"
स्वतन्त्र लेखक
व्यंग्यकार
शायर
२८.०१.२०२२ ०१.०६ अपराह्न
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