कविता(हिंदी मेरी सबसे प्यारी)

   

कविता

(हिंदी मेरी सबसे प्यारी)

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हिंदी मेरी सबसे प्यारी,

सबसे सुंदर सबसे न्यारी,

सरल सादगी की प्रतिमूरत,

भारत की दिखलाती सूरत,

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हिंदी है अभिमान हमारा,

हिंदी है स्वाभिमान हमारा,

हिंदी पावन दिव्य धरा सी,

हिंदी ज्ञान बुद्धि वरदान,

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हिंदी ठहरी बुद्धि की बिंदी,

सरल सहज सुधासम हिंदी,

ज्ञान सुधा बरसाती हिंदी,

सबको गले लगाती हिंदी,

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सूर कबीर की वाणी हिंदी,

तुलसी मलिक ने जानी हिंदी,

हिंदी ही से हिंदुस्तान,

हिंदी दिव्य ज्ञान की खान,

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दिव्य संस्कृति की ये धोतक,

भारत की सभ्यता की पोषक, 

पूरक दिव्य ज्ञान सी हिंदी,

सकल विश्व में विदुषी हिंदी,

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हिंदी भाषा ज्ञान सहेजे,

पहला अक्षर अ से अनपढ़,

बढ़ते पढ़ते ज्ञ तक आया,

ज्ञ से वह ज्ञानी कहलाया,

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शिव शंकर झा "शिव"

स्वतंत्र लेखक

१०.०१.२०२२ ०८.४९

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