💐💐गजल💐💐
💐मुस्कराते रहो💐
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जख्म गहरे रहें गीत गाते रहो,
सिसकियों को"लिए"मुस्कराते रहो,
उनको लगता रहे तुम तो खुशहाल हो,
पीर के बीच भी गुन गुनाते रहो,
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अश्क आंखों में हों पर दिखाना नहीं,
दर्द हो बेपनाह पर जताना नहीं,
वे तो चाहते हैं तेरा गिरे हौसला,
जिगर जिद्दी रहे टूट जाना नहीं,
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वक्त विपरीत हो खौफ खाना नहीं,
गैर के सामने सिर झुकाना नहीं,
मान की बात हो जब कभी सामने,
जिंदा इंसान हो गिड़गिड़ाना नहीं,
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शत्रु भी आँधियों में छुपा आ रहा,
चाल छल छद्म भिनुगा भिनभिना रहा,
तीक्ष्ण प्रहार कर बैठ ना हारकर,
शूल शोणित सना वार कर वार कर,
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हार कर क्या करेगा बता तो जरा,
हार कर क्या जियेगा बता तो जरा,
जिस्म में खून की गर रहे बूंद भी,
हो उबालें लिए हौसला कर जरा,
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जिंदगी कम रहे गम नहीं हो तुझे,
तेज का दीप जलता रहे "ना" बुझे,
आँधियों से पनाह मांग लेना नहीं,
भेद अपना कहीं खोल देना नहीं
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चीरकर फाड़कर फांक हो जाओगे,
उनकी चालों से तुम राख हो जाओगे,
बात दहलीज की बोल देना नहीं,
तुम अंधेरी स्याह राह हो जाओगे,
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उनको मालूम है तू बड़ा जोर है,
इस तरफ उस तरफ हर तरफ शोर है,
डाह है बस यही सीने में फखत,
वह तो गुमनाम हैं तू क्यों मशहूर है,
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जोर का जोर भारी रहे सब बना,
उनको हो ना पता तू तो कमजोर है,
भेदिये भेड़िए भेद डालें नहीं,
शकुनियों की सभा है और चालें वहीं,
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आज भी धर्म को हार जाना पड़े,
चाल ऐसी नरम चल ना जाना कहीं,
शत्रुओं की कटक आ रही है सुभट,
बाण संधान कर तीक्ष्ण प्रहार कर,
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शिव शंकर झा "शिव"
स्वतन्त्र लेखक
व्यंग्यकार
शायर
१३.०२.२०२२ १२.३८ पूर्वाह्न म.रात्रि
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