✍️🙏🏼कविता🙏🏼✍️
🙏🏼तुम्हें कोटि प्रणाम🙏🏼
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काश्मीर घाटी भारत की,
हुई रक्त से "लाल"।।
किसी ने खोया भाई अपना,
किसी ने खोया लाल।।
लौट सके ना पुनः वीर भट,
गॉंव गली निज धाम।।
तुम्हें कोटि प्रणाम राष्ट्र का,
कोटि कोटि प्रणाम।।
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याद करो पुलवामा हमला,
पीड़ा दायक शूल।।
मातृभूमि पर हुए समर्पित,
दिव्य धरा के फूल।।
किया आत्म उत्सर्ग राष्ट्र पर,
शक्ति शौर्य गुणधाम।।
तुम्हें कोटि प्रणाम राष्ट्र का,
कोटि कोटि प्रणाम।।
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कायर शत्रु छुपा बैठा था,
पहन भेड़िया खाल।।
राष्ट्र विरोधी बैरी खुश थे,
देख रक्त का हाल।।
लौट रहे थे घर से अपने,
राष्ट्र धर्म के काम।।
तुम्हें कोटि प्रणाम राष्ट्र का,
कोटि कोटि प्रणाम।।
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माह फ़रबरी तिथि चौदह थी,
याद करो बलिदान।।
किये प्राण उत्सर्ग राष्ट्र पर,
सैनिक वीर महान।।
एक दिया अर्पित कर देना,
वीर सुतों के नाम।।
तुम्हें कोटि प्रणाम राष्ट्र का,
कोटि कोटि प्रणाम।।
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शिव शंकर झा "शिव"
स्वतंत्र लेखक
✍️कवि✍️
१४.०२.२०२२ १२.११ पूर्वाह्न
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के अमर सपूतों को
"स्वतंत्र लेखक शिव" कोटिशः वंदन करता है।
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