गजल💐और जाने क्या !💐

       


💐गजल💐

💐और जाने क्या!💐

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जिन्दगीं बहुत उम्दा नज्म लिख गयी,

कभी जज्बात कभी हालात लिख गयी, 


प्यार,नफरत,तोहमत,वफ़ा और गुस्ताखियाँ,

नफा,हार,बहार,बहम,रहम और जाने क्या !

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कभी आश कभी निराश कभी मिठास, 

कभी रिश्तों में होती नींबू सी खूब खटास,


कभी इनसे कभी उनसे तकरार धुंआधार,

कभी सिलबन कभी तुरपन और जाने क्या !

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कभी सूरज सी तपिश कभी चांद सी नर्मी

कभी बरसात की रात कभी जेठ सी गर्मी,


कभी खून की खून से होती निराधार रार,

कभी बागबाग कभी आग और जाने क्या !

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कभी सुकून कभी जुनून कभी नश्तर,

कभी इश्क कभी दगा और कभी अश्क,


कभी जहन में वफ़ा ही वफ़ा कभी उन्माद,

प्यार की अगन कभी चुभन और जाने क्या !

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कभी करुण क्रंदन कभी प्रफुल्लित गात,

कभी बहार कभी कभी दुलार कभी मात,


कभी मासूका की नरम बाहें गर्म गर्म आहें

कभी सुकून कभी उलझन और जाने क्या !

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कभी संबरने की कभी बिगरने की उमर,

कभी बिखरने की कभी सुधरने की उमर,


कभी आजाद परिंदा कभी पिंजरे की कैद,

कभी सही फिर भी ग़लत और जाने क्या !

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कभी मासूका,पड़ोसिन,अब जोरू से प्यार,

कभी इधर की हवा कभी महकती बयार,


कभी होठों पर तैरती मुस्कान कभी चुप्पी,

उम्र की दस्तक झुका मस्तक और जाने क्या !

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प्यार दुलार दगा चाल रिश्तों में घालमाल,

कभी बेकदर कभी कदर कभी सिहरन,


ये जिंदगी, ये दोस्त,ये अपने, ये सपने, 

ये सगे खास, 

कभी दूर,कभी मद में चूर,कभी पास 

और जाने क्या !

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शिव शंकर झा "शिव"

स्वतन्त्र लेखक

व्यंग्यकार

शायर

१५.०२.२०२२ ०८.२८ पूर्वाह्न

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