श्रीश्री १००८ कोरोना गुरू
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जिसने रिश्ते नातों की नकली डोर को
बता दिया,
कौन कितना किसके साथ है खुलकर
जता दिया,
अरे दोस्त तुम वहम में समय जाया ना
कीजिये,
छोटी सी उम्र है प्रेम करुणा स्नेह बर्षाया
कीजिये,
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कोविड उन्नीस सबसे बड़ा शिक्षक साबित
हुआ,
इस कालखंड में घना अपना भी अपना ना
हुआ,
जो श्रीश्री १००८कोविड गुरु के छत्र छाया में
आया,
उसने रिश्तों की गीता का वेहद मोहभंजक
ज्ञान पाया,
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रिश्तों की डोरियां इतनी कमजोर होती हैं
पता चला,
अंतिम विदाई में खून का सहारा ना मिला
पता चला,
अंतिम यात्रा बोझ सी हो गयी थी उस वक्त
याद तो होगा,
अपनों के बीच अपना अछूत हुआ ये रूप
याद तो होगा,
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इश्क में ओ मेले जानू कहने बाली गोरी
मासूकाएँ,
काफूर इश्क हुआ उड़नछू हो गयीं वह
बालाएं,
उस दौर भाई ने भाई को छूने से इनकार
किया था,
जिंदगी ओ जिंदगी तूने बहुत हमें सबक
दिया था,
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मित्र परिजन पुरजन वांधव भी कन्नी
काट गए थे,
नकली स्वार्थमय रिश्तो की रेबड़िया
बांट रहे थे,
पत्नी जी धड़कन की तरह दिल में रहीं
मगर दूर,
कशमकश में बाहों में आने से परहेज इश्क
हुआ काफूर,
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पत्नी जी ने भी कतई छूने की हसरत ना
जताई,
खाना सरका कर मिला अलग हो गयी
चारपाई,
ये दौर बहुत कुछ सबक बता रहा था मेरे
अजीज,
रिश्ते क्या हैं कैसे हैं सिखा रहा था रोज रोज
तमीज ,
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किताबें और एकांत प्रवास साथी थे साथ
रहे,
ना दुनियादारी ना वह ना मासूका के हाथ
रहे,
गर्लफ्रेंड केवल अपने फोन से फ्लाइंग
किस भेजती रही,
तुम दूर ही से इजहार कबूल करो जानूँ
बस कुरेदती रही,
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दुनियां का महानतम शिक्षक श्री श्री १००८
कोरोना हुआ,
आपने सच में हां रीयल रिश्तों से परिचित
कराया छुआ,
कौन कितना छुपा रुस्तम था सब कुछ
बता गए,
वह दौर भूलेगा कोई कैसे फरेब का पर्दा
हटा गए,
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धन के घमंड को चूर चूर खण्ड खण्ड
किये थे,
आदमी के जिस्म पैकिंग में नम्बर
लिए थे,
श्मशान पर मिटते रिश्तों की परिभाषा
बता गए,
स्वार्थ की चादर जो पड़ी थी झटके में
हटा गए,
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हमने सोचा था आदमी इस त्रासदी के बाद
आदमी हो जाएगा,
वह दर्द के लम्हात में मुस्कराने के बजाय
गले लगाएगा,
लेकिन शायद इंसान अतीत को विस्मृत करने
का आदी है,
धन,जन,गन,सत्ता सब बेमानी हुई थी फिर
भी उन्मादी है,
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तुम आते रहना वक्त वक्त पर प्रिय शिक्षक
की तरह,
उथेड़ देना फरेबी नकली रिश्तों को तुरपन
की तरह,
हम बड़े खुदगर्ज हैं जब फंसते है तब ही
चिल्लाते हैं,
हम अब भी बेशर्म हैं इंसानियत का मखौल
उड़ाते हैं,
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शिव शंकर झा"शिव"
स्वतंत्र लेखक
व्यंग्यकार
शायर
२६.०३.२०२२ ११.३८ अपराह्न
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