★जिंदगी है चंद पल की !★
जिंदगी है चंद पल की,है सभी को ये पता।
है बड़ा मगरूर तू किस वास्ते कुछ तो बता।
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दे सके तो प्यार दे हेकड़ी को कर अलग।
आ रहा है ख़त अनूठा पढ़ नहीं सकता मगर।
है नहीं औकात तेरी रुक सके तू एक पल।
हो गया फरमान जारी है नही कोई बसर।
मौत के आगोश में आएंगे हम भी एक दिन।
बादशाहत है नहीं इतनी तो प्यारे है खबर।
कौन है जो ला खरीदा हो कफ़न अपने लिए।
तू बड़ा मोहताज है सच में समझ रे आदमी।
सूर्य की किरणें सभी पर पड़ रही हैं एक सी।
भेद उसने ना किया ये आदमी क्या चीज है।
झूठ है तेरा भरम कि बादशाहत है तेरी।
तू बहुत मजबूर है कमजोर है फैला नजर।
सांस है अनमोल ये मिलती नही बाजार में।
कर नहीं सकता अदा कीमत कोई संसार में।
था गुमां दौलत का उसको बहुत भारी दोस्तो।
चंद सांसें ला ना पाया हाट से खुद के लिए।
जो मिला है मुफ्त में कीमत बहुत है जान लो।
सांस पानी हवा सब रब की दया से मान लो।
जमी गर ये कह उठे दे नहीं सकती पनाह।
है कोई तेरा बसेरा ए बता कुछ आदमी।
तेरी क्या औकात जो फरमान वापिस कर सके।
चल नहीं सकती सिफारिश कोई उसके सामने।
आकंठ तक डूबा रहा वह उम्रभर कोरे भरम में।
मौत ने जब कंठ भींचा खींच ली सारी अकड़।
नजर कर ऊपर तेरी औकात क्या है आदमी।
कुछ नहीं सच कुछ नहीं कोरा भरम है आदमी।
शिव शंकर झा "शिव"
स्वतन्त्र लेखक
व्यंग्यकार
शायर
२२.०४.२०२२ १२.१० पूर्वाह्न