गजल★जिंदगी है चंद पल की !★

     

गजल

जिंदगी है चंद पल की !

---1---

जिंदगी है चंद पल की,है सभी को ये पता।

है बड़ा मगरूर तू किस वास्ते कुछ तो बता।

----2----

दे सके तो प्यार दे हेकड़ी को कर अलग।

आ रहा है ख़त अनूठा पढ़ नहीं सकता मगर।

---3---
भेजता है वह तो अपना मूक सन्देशा तुझे।
मगर तेरी नजर की औकात कहां जो समझ ले।
---4---
मेरी मेरी और मैं ही मैं के फेर में उलझा रहा।
अपना पन्ना पढ़ ना पाया गैर का पढ़ता रहा।
---5---
मौत के भी हैं  सुनो बहुत ही उम्दा उसूल।
इंसाफ उसका आदमी जैसा नहीं ये मान लो।
---6---

है नहीं औकात तेरी रुक सके तू एक पल।

हो गया फरमान जारी है नही कोई बसर।

---7---

मौत के आगोश में आएंगे हम भी एक दिन।

बादशाहत है नहीं इतनी तो प्यारे है खबर।

---8---

कौन है जो ला खरीदा हो कफ़न अपने लिए।

तू बड़ा मोहताज है सच में समझ रे आदमी।

---9---

सूर्य की किरणें सभी पर पड़ रही हैं एक सी।

भेद उसने ना किया ये आदमी क्या चीज है।

---10---

झूठ है तेरा भरम कि बादशाहत है तेरी।

तू बहुत मजबूर है कमजोर है फैला नजर।

---11---

सांस है अनमोल ये मिलती नही बाजार में।

कर नहीं सकता अदा कीमत कोई संसार में।

---12---

था गुमां दौलत का उसको बहुत भारी दोस्तो।

चंद सांसें ला ना पाया हाट से खुद के लिए।

---13---

जो मिला है मुफ्त में कीमत बहुत है जान लो।

सांस पानी हवा सब रब की दया से मान लो।

---14---

जमी गर ये कह उठे दे नहीं सकती पनाह।

है कोई तेरा बसेरा ए बता कुछ आदमी।

---15---

तेरी क्या औकात जो फरमान वापिस कर सके।

चल नहीं सकती सिफारिश कोई उसके सामने।

---16---

आकंठ तक डूबा रहा वह उम्रभर कोरे भरम में।

मौत ने जब कंठ भींचा खींच ली सारी अकड़।

---17---

नजर कर ऊपर तेरी औकात क्या है आदमी।

कुछ नहीं सच कुछ नहीं कोरा भरम है आदमी।

-------

शिव शंकर झा "शिव"

स्वतन्त्र लेखक

व्यंग्यकार

शायर

२२.०४.२०२२ १२.१० पूर्वाह्न






  

Tags

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

buttons=(Accept !) days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !