गजल💐आओ चेहरा देख लें!💐

 

गजल

💐आओ चेहरा देख लें!💐

(१)

आओ कुछ अपना भी चेहरा देख लें,

दाग है कितने लगे होता अंधेरा देख लें!

(२)

नजर आता नहीं अपना गुनाह क्या बात है,

दूसरे के गुनाह में अपना गुनाह भी देख लें,

(३)

आदमी हो या"हो नहीं"धुंध ठहरा देख लो,

हो रहा ये क्या नया बदला जमाना देख लो,

(४)

खैर तुम क्या मान लोगे बात मेरी वन्धुजन,

आपसी होती कलह के मूल कारण देख लो,

(५)

इस तरह घर बंट रहे हैं बंट रही ज्यूँ रेबड़ी,

टूटता दिल शक्ति निर्बल और हारें देख लो,

(६)

कुरेदते हो उसे उसकी कमजोरियों के लिए,

कमजोर तुम भी हो लेकिन छिपाते हो बहुत

(७)

दिखाबे की काहे धुन सवार है तुम पर मित्र,

असलियत में हिसाब क्या है पता कीजिये,

(८)

खबर है सड़क तप रही है तपिश से बहुत,

गुबार है आग का दिल में ये लगता है कहीं,

(९)

आदतें अपनी बिगड़ी हुई सुधारे नहीं मित्र,

दूसरे की आदतें चुभती क्यों है कहो प्यारे,

(१०)

व्यक्ति की परख उसकी साफगोई से जानो,

बनाबटी बातें जाती हैं पकड़ बहुत जल्दी,

(११)

हमें तुमसे तुम्हें हमसे बस लगाव है इतना,

जरूरत पड़े तब खैरियत पूछ लें पास आ,  

(१२)

उसकी करुण ध्वनी उस तक नहीं पहुंची,

वह बहरा तो नहीं बस चालाक नजर आया, 

(१३)

प्रेम करुणा ह्रदय में रखा करो मेरे भाई,

रक्त की कीमत वक्त पर समझ आती है,

(१४)

मेरी कोशिश है इतनी व्यक्तित्व मर न जाये,

तेरी हरकतों से कहीं अस्तित्व मर ना जाये, 

(१५)

उत्सवों का वक्त है उत्सव मनाओ मित्र बंधू,

विपरीत काल में साथ ना छोड़ देना कहीं,

(१६)

तुझे मिल जाये वसुधा का साम्राज्य सारा,

मेरे सामने आए तो पुराना वक्त याद रखना,

(१७)

ढूढ़ना हो सच अगर तो ढूंढ़िए सच मित्र

अपना,

दूसरे के सच की पीछे क्या यूँ हीं पड़ना

ठीक है!

(१८)

झांकते हो गैर की कमियों को वेहद गौर से

नजर भर,

अपनी भी कमियाँ देखने की जुर्रत करो तब

ठीक है!

(१९)

चश्मे को पोंछने से नजर साफ ना आ

पायेगा,

दिल नियत को ठीक कर लो तब कहीं

ये ठीक है!

-------

शिव शंकर झा "शिव"

स्वतन्त्र लेखक

व्यंग्यकार

शायर

०५.०४.२०२२ ०८.१३ पूर्वाह्न



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