गजल
💐कोशिश करो!💐
तेरी मेहनत यूं ही जाया ना जाएगी यकीं है,
सुना है पत्थर पर रस्सी से निशान बनते हैं,
अपने हिस्से का किस्सा तो लिखो एक बार,
जिंदगी चमन है जश्न है मत मान लेना हार,
मुश्किलें कब तलक रोकेगीं राह यायावर,
कदम थकने ना पाए ये जिद तेरी जिंदगी है,
कोशिश करो और जिद करो जीत जाने की
फ़ख़त सांसें चलने को जिंदा कैसे मान लें,
किताब के कोने में एक जगह मुकर्रर हो,
तेरे वास्ते लफ्ज हों कुछ नज्म बेहतर हो,
हमारे नाम के आगे लगेगा क्या पता नहीं !
सितारा चमक जाएगा या फिर डूब जाएगा,
घुट घुट के जिये और रुखसत हुए जमाने से
क्या बना क्या बिगड़ा तेरे इस तरह आने से,
कदम तो बढ़ाने होगें पूरी शिद्दत के साथ,
ये बुलंदियां यूँ हीं नहीं मिलती पता तो है,
लड़खड़ा कर खड़ा एक दिन जरूर होना है,
देखना है हमें कि कदमों में जान कितनी है,
हौसला मत तोड़ देना मौत आने तक सुनो,
जिंदगी बड़ी बेदर्द मासूका है इल्म तो होगा,
जब तेरा सितारा गगन की बुलंदी पर होगा,
लौट आएंगे वे भी जिन्हें तू रास नहीं आता,
मिलता नहीं है कुछ भी अपने हिसाब से,
कामयाबी,नाम,शौहरत सब उसके हाथ है,
हमें तो काम करना है अपना साफगोई से,
मिलेगा कब कितना फिक्र क्यों करें दोस्त,
अपने हिस्से का दर्द हमें ही तो पीना होगा,
हाल कुछ भी हो मेरे दोस्त मगर जीना होगा
मेरे अजीज सुन दुनियां बड़ी खुदगर्ज सी है
साथ ना छोड़ेगी ताउम्र तक ये कर्ज सी है,
सिर्फ जिंदा दिखने से जिंदा नहीं हो
पाओगे,
इंसा हो इंसान की तरह कब नजर
आओगे,
पत्थर पर चोट पूरी ताकत से हिम्मत से करनी होगी,
हथौड़ा हाथ में है बेशक मगर चोट तुम्हें करनी
होगी,
(18)
हाथ किसका है पीठ पर इससे कामयाबी
नहीं मिलती,
जुनून,जोश,जज्बा,बुद्धि के बदौलत ही ये
मुमकिन है ,
आखिर किस किस से मदद मांगोगे अपने
वास्ते,
चलो चलें बेखौफ जोश भरकर बुलंदी के
रास्ते,
बुलंद हौसले के बदौलत ही जंग जीत
पाओगे,
कमजोर दिल और दिमाग हार के साथ
रहते हैं,
मेरी कोशिश है आदमी जिंदा रहे बोले हक
की बात,
दिन को दिन ही कहे और कहे रात को खुल
कर रात,
💐💐💐💐💐
शिव शंकर झा "शिव"
स्वतन्त्र लेखक
व्यंग्यकार
शायर
०७.०४.२०२२ ०८.२१ पूर्वाह्न