कविता ।।वक्त देगा फैसला।।


कविता

।।वक्त देगा फैसला।।


मार्ग दुष्कर है बना,

आदमी है अनमना,

टूटता दिल कांच सा, 

छा रहा कोहरा घना।


सब्र का भी वक्त है,

वक्त का भी वक्त है,

कट रही ये उम्र यूँ,ही,

मौन है पर व्यक्त है।


कंठ है पर मौन है,

देखना वह कौन है,

सिसकता वह जा रहा है,

वक्त है पर मौन है।


जिंदगी बस कट गई,

रेबड़ी सी बट गई,

क्या दिया तुमने पलट कर,

जिद यहीं पर डट गई।


वक्त देगा फैसला,

हारना मत हौसला,

शब्द के प्रहार सहकर,

चल चला चल चल चला।


झूठ सम्मुख झुक ना जाना,

मार्ग में तू रुक ना जाना,

जिंदगी तो जिंदगी है,

टूट कर तू झुक न जाना।


वक्त की गहरी पकड़ है,

वक्त से ही सब अकड़ है,

हारते देखे धुरंधर चाल जीती,

छोड़ दे जब वक्त जड़ है वक्त जड़ है।


मृत्यु का आना सुनिश्चित,

आना सुनिश्चित जाना सुनिश्चित,

मग में शूलों के घने उपहार लेकर,

चल सुनिश्चित कर सुनिश्चित जय सुनिश्चित।


शिव शंकर झा "शिव"

स्वतन्त्र लेखक

व्यंग्यकार

शायर

२१.०५.२०२२ १०.५९ पूर्वाह्न






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