【1】
मिलावट फरेब का मखमली दौर दिखता है।
खुदगर्ज मौसम है गजब का जोर दिखता है।
【2】
हिम्मत को साथ रख सफर कट जाएगा।
लहर को देख कश्तियाँ नहीं छोड़ा करते।
【3】
आँधियों के बीच चिराग जलता रहे यारो।
बेखौफ जिंदगी हो कदम बढ़ते रहें यारो।
【4】
खौफ से हथियार छोड़ देना जायज नहीं।
आखिरी सांस तक सिपाही नहीं झुकते।
【5】
वक्त होता है कभी कभी बेरहम हम जानते हैं।
हिम्मत ही टूट जाये ये भी तो ठीक नहीं।
【6】
अपनी जमीन पहचान खुद बनाकर देख।
सुकून मिलता है बहुत खुद की कमाई देख।
【7】
सिसकियों के आगोश में कब तक रहोगे।
ये जालिम दौर है खौफ में कब तक रहोगे।
【8】
देखकर हैसियत उसकी तू डर न जाना।
जिंदा होने से पहले ही कहीं मर न जाना।
【9】
कहना नहीं उनसे कभी मुफ़्लिसी की बात।
जिनकी आदत न हो दोस्तो साथ देने की।
【10】
गले लगाते लगाते वह खंजर घोंप गया।
वह कोई गैर नहीं अपना ही रहा कोई।
【11】
उन्हें भी खबर होनी चाहिए सख्सियत की।
तेरे ईमान की सराफत की और हैसियत की।
शिव शंकर झा "शिव"
स्वतन्त्र लेखक
व्यंग्यकार
शायर
२६.०५.२०२२ ०४.५४ अपराह्न