जन्मदात्री दिव्य माँ तुमको कोटि प्रणाम।।
तेरे आँचल में पले दिव्य कृष्ण अरु राम।।
कविता
💐💐माँ💐💐
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माँ प्यार की मूरती है,
माँ बच्चों के जीवन की पूरती है।
माँ करुणा मयी झोली है,
माँ रसमयी मीठी मीठी बोली है।
माँ पवित्र है जीवन का चित्र है,
माँ सर्वोत्तम सखा है मित्र है।
माँ वालक की आकांक्षा है,
माँ भविष्य की महत्वाकांक्षा है।
माँ ईश्वरीय दिव्यतम मूरत है,
माँ दया करुणा स्नेह की सूरत है।
माँ सत्कार है सदाचार है,
माँ पुराणों का निचोड़ है सार है।
माँ प्रभु प्रदत्त आधार है,
माँ के बिन सब अस्पष्ट निराधार है।
माँ सद्गुण सत्कर्म की दिव्य खान है,
माँ बच्चे के होठों की मुस्कान है।
माँ स्नेहिल मधुरतम लोरी है,
माँ पुष्प से भरी सुगन्धित झोरी है।
माँ की गोद में अवर्णीय सुख का सार है,
माँ अखिल ब्रह्मांड की आधार है।
माँ "शिव"की पावनतम आराधना है,
माँ सन्तान की पवित्र साधना है।
माँ बहुत बहुत भावुक है,
माँ सन्तान को सुधारने हेतु चाबुक है।
माँ शहद से अधिक मीठी है,
माँ भावना है हँसी है साँस है।
माँ पूज्यनीय है वंदनीय है,
माँ सकल चराचर में अभिनन्दनीय है।
माँ सदा भला करने वाली देवी है,
माँ सर्वोत्तम श्रेष्ठतम समाजसेवी है।
माँ हमारे जीवन की जड़ है,
माँ सकल लोकों में विधमान कण है।
माँ हमारी विचारधारा है,
माँ गंगा है पवित्र नेह की धारा है।
माँ अखिल ब्रह्मांड की दिव्यतम शक्ति है,
माँ तेरे बिना ईश्वर को अस्वीकार भक्ति है।
माँ आदर है सत्कार है प्यार है,
माँ तेरे बिन ये जगत खाली है बेकार है।
माँ के लिए जितना लिखूँ कम है कम है,
माँ इस संसार में सर्वोच्च है महानतम है।
माँ डाँट हैं स्नेह है करुणा है नेह है,
माँ का प्यार सुखदायक गेह है।
माँ अनुशासित है,
माँ सदैव आशान्वित है।
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शिव शंकर झा "शिव"
स्वतन्त्र लेखक
व्यंग्यकार
शायर
०८.०५.२०२२ ०७.३६ पूर्वाह्न
लेखन तिथि ०२.०२.२००८