गजल【मौसम गुलाबी देखिए!】

   

मौसम गुलाबी देखिए!

【1】

बड़े साहेब आ रहे हैं गौर से सब देखिए।

हाँ हजूरी में लगे सारे मुलाजिम देखिए।


बदल दी तस्वीर रातों रात सारे शहर की।

वाह सिस्टम बहुत उम्दा जालसाजी देखिए।


तुमको सब मालूम है ये सब हुआ है रात में।

आप भी अपनी नजर से नजर भरके देखिए।


बोल कर दौरा करोगे सच नहीं मिल पाएगा।

आइए एक बार औचक फिर नजारा देखिए।

【2】

आपकी कमजोर नस कोई है इनके हाथ में।

है कमी क्या आप में खुद हुक्मरानों देखिए।


चौकियों में दफ्तरों में आज भी क्या हाल हैं।

फरियाद लेकर जाइये फिर तमाशा देखिए।


लुट रही है वह अकेली हो रही नीलाम भी।

पास जाके उसकी मजबूरी हतासा देखिए।


कौन है किससे कहे बहरा जमाना हो गया।

भेड़िए के खौफ से सहमी नताशा देखिए।

【3】

कुर्सियों में बैठे बैठे तोंद बढ़ती जा रही है।

काम तो करते नहीं अंदाज इनके देखिए।


बदल दो ये कुर्सियां कुर्सी पे बैठे लोग भी।

फाइलों के बीच का मौसम गुलाबी देखिए।


खादीधारी बन रहे हैं "क्यों" ये गुंडे घूम कर।

वारंट कुर्की जेल का शायद असर है देखिए।


खौफ होना चाहिए उनके दिलों में ठीक है।

मगर उसका घर जले क्यूँ गौर करके देखिए।

【4】

दूध जैसे धुल गए आये जो इनकी गोद में।

कल तो थे ये माफिया आज साधू देखिए।


दल बदल कर हो गए ईमान से तर माफिया।

वाह सत्ता की नसैनी दरियादिली तो देखिए।


कागजों में खूब होती है,सुनो बाजीगरी।

सच नहीं हैं फाइलें,मौके पै जाके देखिए।


तेरे दौरे की भनक,जैसे ही इनको पड़ गयी।

गाँव की टूटी सड़क,एक रात में ही बन गयी।

💐💐💐

शिव शंकर झा "शिव"

स्वतन्त्र लेखक

व्यंग्यकार

शायर

०७.०६.२०२२ ०१.०६ पूर्वाह्न




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