हाँ में हाँ मिलाओ!!
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हाँ में हाँ मिलाने का हुनर,गर साथ में है,
कुर्सी,ओहदा,रुआब,दौलत सब हाथ में है।
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सफेद झूठ कहो,और खूब गुलछर्रे उड़ाओ,
रात को दिन कहो,और हाँ में हाँ मिलाओ।
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मौजूदा दौर दोस्त,हाँ जी हाँ का चल रहा है,
जो ढ़ल चुका है इसमें,मस्ती से पल रहा है।
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इनके यहाँ उनके यहाँ,खूब दावतें उड़ाइए,
इनकी,उनकी,सबकी, हाँ में हाँ मिलाइए।
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मेरे अज़ीज़ गर तुम,ये हुनर पा जाओगे,
कम वक़्त में ही उम्दा,मुक़ाम पा जाओगे।
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बदल दो कानून सब,तुम अपने हिसाब से,
सल्तनत अपनी है,मुलाज़िम भी अपने हैं।
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वक़्त तुम्हारा है,कुछ अलग काम कर दो,
जमीं,दरिया,बीहड़,सबके सब नीलाम कर दो।
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कौन है ये क्या है,जो सही सही कह रहा है,
अरे! इसे पकड़ो,हवालात में बंद कर दो।
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सही में सही सही,कह दोगे तो पछताओगे,
चोर को चोर कह दोगे,ख़ाक इनाम पाओगे।
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आदेश शासनादेश,बस फाइलों का खेल है,
ऊपर से गर्दनें नापिए,तब कहीं कुछ पाओगे।
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छोटे छोटे मछली के बच्चे,सताए जा रहे हैं,
बड़े मगरमच्छ रोज,कच्चा चबाए जा रहे हैं।
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वह साहब की गुलामी,शौक से करता रहा,
आदमी समझदार था,तिजोरियां भरता रहा।
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संसद से सड़क पर भी,कुछ नजर दौड़ाइए,
एसी छोड़ कभी,तपती धूप में आ जाइए।
शिव शंकर झा "शिव"
स्वतन्त्र लेखक
व्यंग्यकार
शायर
११.०७.२०२२ ०४.००अपराह्न