कविता- समय गुरू प्रणाम.

    
👏👏समय गुरू प्रणाम👏👏

समय गुरू सबसे बड़ा,

सिखला दे सब ज्ञान,

जीवन के सब पैंतरे,

चाल,चलन,स्वाभिमान।


समय धरा का श्रेष्ठतम,

गणित,सबक़,तारीख,

पग पग मग मग देत है,

मानव को नव सीख।


करे सभी से नेह सम,

नहीं भेद का नाम,

चलो चलें इनकी शरण,

यही सम्हारें काम।


रिश्तों की तुरपन हटे,

दिखे बैर और प्रेम,

दिव्य ज्ञान है समय का,

दया क्षमा और क्षेम।


इनकी छाया में मिले,

जीवन का सब मूल,

राज काज और नीतियां,

हार,जीत,और फूल।


समय गुरू के चरण में,

करूँ नमन धर शीश,

दिव्य ब्रह्म शंकर हरी,

आप सकल जगदीश।


समय समय पर देत हैं,

हानि, लाभ, सनमान,

जान सको तो जान लो,

समय गुरू का ज्ञान।।


शिव शंकर झा 'शिव"

स्वतन्त्र लेखक

व्यंग्यकार

शायर

१३.०७.२०२२ ०७.४१ पूर्वाह्न

(गुरु पूर्णिमा पर विशेष रचना)




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