कविता 🇮🇳 जय जय हिंदुस्तान 🇮🇳


🌷🌷कविता🌷🌷

🇮🇳जय जय हिंदुस्तान🇮🇳


शौर्य,समर्पण,दया,ज्ञान का अनुपम संगम मेरा भारत,

बलिदानी मिट्टी का कणकण मग मग जगमग मेरा भारत।

दया,शील,नैतिक मर्यादा जग को सदा सिखाता भारत,

शरण पड़े की प्राण सुरक्षा अद्भुत मार्ग दिखाता भारत।


क्षमा,नीति,विज्ञान,ज्ञान मय दिव्य गुणों से पूरित भारत,

कणकण रगरग राष्ट्र प्रेम औऱ प्रेम नेह की मूरत भारत।

योग,ध्यान,तप,त्याग,सत्य की धर्म ध्वजा सा पावन भारत,

सरयू ,गंगा,श्यामल यमुना दिव्य सुखद मन भावन भारत।


मही हमारी अद्भुत अनुपम विश्व क्षितिज का मान है,

व्योम धरा जल में ध्वनि गूँजे भारत भूमि महान है।

वीर शिवा,राणा और पृथ्वी ऐसे हुए अनेकों रण भट,

राम,कृष्ण,गौतम,गुरु नानक हुए धरा पर दिव्य अवतरित।


महा सुभट महावीर धनुर्धर पितृ भक्त माँ भक्त हुए,

नीति निपुण बल बुद्धि विशारद धर्म कर्म अनुरक्त हुए।

कितनों ने सर्वस्व स्वैच्छिक किया समर्पित दिव्य धरा पर,

लड़े कटे पर हटे नहीं तब खिला विजय का पुष्प धरा पर। 


जिनकी अगणित गाथाओं का गवाह खड़ा वह अडिग हिमालय,

संस्कार,व्यवहार,सनातन,ज्ञान,ध्यान,रण निपुण हिमालय।

भारत भूमी के आंचल में हुए पल्लवित पोषित योद्धा,

समर भूमि मिट्टी के खातिर हुए समर्पित कोटिशः योद्धा।


पूरब से पश्चिम तक बिखरी रणधीरों की ललित कथाएं,

उत्तर से दक्षिण तक निखरी रणवीरों की अमित छटाएं।

स्वातन्त्र्य के लिए दिए स्वयं हँस हँस वीरों ने प्राण।

विश्व पटल पर जगमग करता मिला हमें तब देश महान।

मिला हमें तब देश महान।


जय जय हिंदुस्तान जय जय भारत भूमि महान,

जय जय भारत भूमि महान जय जय मेरे हिंदुस्तान।


🇮🇳जयहिन्द🇮🇳

सर्वाधिकार सुरक्षित

✍️रचनाकार✍️

शिव शंकर झा "शिव"

स्वतन्त्र लेखक

व्यंग्यकार

शायर

१४.०८.२०२२ ०५.४५ अपराह्न










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