🌷शेर ओ शायरी🌷
❤️✍️ दिल की बात✍️❤️
शराफ़त सदाक़त अब,सफ़र के सिफ़र पर है !!
लोग शरीफ़ इंसान को,अब अहमियत नहीं देते।
सही कौन गलत कौन ? तय कैसे कौन करे !
नक़ाब में भेड़िया या आदमी,तय कौन करे !
किताब पढ़े सबक़ पढ़े,उस्ताद के साये में !
फ़ितरतें पढ़ नहीं पाए,मगर अपने ज़माने की।
हमने तो गले लगाने का,सबक़ सीखा था दोस्तो !
मगर खंजर की ख़बर,बिल्कुल ना रही दोस्तो।
पीठ पीछे से वार,ज़बरदस्त जोरदार मिला !
जब नज़र दौड़ाई तब,लहू अपना ही यार मिला।
शिक़ायत बयाँ करने की,अब आदत ना रही।
यहाँ अब आपकी आवाज़,कानों तक नहीं जाती।
दिमाग़ लगाओ कुछ,मेरे हमदम मेरे दोस्त।
पीठ से वार करने का,हुनर वह जानते हैं।
रगों में खुद्दारी वफ़ादारी,दरियादिली रख लो।
मौत आने से पहले दोस्त,सलीक़े से बही रख लो।
दिल अब उन दिनों सा,खुशगवार बाग बाग नहीं रहता।
इश्क,महफ़िल,दावतें,मस्तियों का डेरा नहीं रहता।
हिसाब पाक़ साफ उनका,माँगते रहे यूँ ही उम्र भर।
मगर हिसाब तुमने अपना,पाक़ साफ कहाँ रक्खा।
नज़र नज़राने पर टिकी है,इस जमाने की !
मुफ़्त के निबाले ने,ज़मीर जिंदा नहीं रक्खा।
भीड़ देखने लायक थी,वतन के बाशिंदों की।
पता किया तो बस मुफ्त,के वास्ते हुजूम था।
उनसे इनसे दिल की बात,हरगिज़ नहीं कहना।
खबर है पास उनके,अब दिल दिल सा नहीं रक्खा।
सर्वाधिकार सुरक्षित
✍️रचनाकार✍️
शिव शंकर झा "शिव"
स्वतन्त्र लेखक
व्यंग्यकार
शायर
१६.०८.२०२२ ०९.४३पूर्वाह्न