🌷आ जाओ नन्दलाल🌷
रोम रोम में व्याप्त हरि अखिल लोक विश्राम।
जिनकी केवल कृपादृष्टि से संबरत सारे काम।।
संबरत सारे काम मान धन धान्य मिले सब।
श्याम सलोने जशुदानन्दन मायापति घनश्याम ।।
शरणागत हम आपके करो अनुग्रह नाथ।
शरण पड़े की प्रार्थना रख दो सिर पै हाथ।।
रख दो सिर पै हाथ दृष्टि अब कछू ना आवै।
आ जाओ श्रीनाथ विरह अब अधिक सतावै।।
घोर अंधेरा हर तरफ दृष्टि ना आवै मार्ग।
हाथ पकड़ कर श्रीहरी दिखला दो सद्मार्ग।।
दिखला दो सद्मार्ग भटक हम बहुत गए हैं।
गीता का उपदेश काल वश भूल गए हैं।।
पापाचारी बढ़ रहे बढ़ रहा पापाचार।
पुनः आइए आप हरि तभी बचे संसार।।
तभी बचे संसार आइए प्रभु श्री मुरलीधारी।
लुप्त प्रायः सा हो रहा सदाचार व्यवहार।।
मित्र सुदामा की तरह गले लगा लो नाथ।
प्रेम सुधा रस से भरा रख दो सिर पर हाथ।।
रख दो सिर पर हाथ गिरा सुन लो यदुराई।
चरण शरण में सिर रखा कृपा करो जगनाथ ।।
कंस वंश सा फैलता नित नित अत्याचार।
लूट झूठ धोखाधड़ी बढ़ता भृष्टाचार।।
बढ़ता भृष्टाचार मनुजता लुप्त हो रही।
अंतिम पग पर शेष है दया शीलता प्यार।।
कंस बहुत से हो गए हुए बहुत नर अधम।
पुनः आइए आप प्रभु तभी बचे सत धरम।।
व्यवासायिक सा हो गया धर्म कर्म अनुराग।
एक बार आ जाइये श्री हरि नन्द गोपाल।।
सारी सृष्टि के सृजक जगतपिता घनश्याम।
आई भादौं प्रेमवश शोभा ललित ललाम।।
शोभा ललित ललाम देर मत कर गिरधारी।
भक्त आर्त हो करें याचना आ जाओ श्री कृष्ण मुरारी।।
आ जाओ श्री कृष्ण मुरारी
आ जाओ हरि रासबिहारी।।
आ जाओ गिरवर के धारी
आ जाओ जग नाथ खरारी।।
🙏जन्माष्टमी पर विशेष🙏
✍️रचनाकार✍️
शिव शंकर झा "शिव"
स्वतन्त्र लेखक
व्यंग्यकार
शायर
१९.०८.२०२२ ०८.१५ पूर्वाह्न