व्यंग्य
पोलिटिकल रेड !!
रेड एवसोल्यूटली परेशान थी।
राजकीय आज्ञा पत्र पढ़ कर !!
आज फिर बदले की भावना से।
या फिर सियासी दुर्भावना से !!
पुनः मुझे यूज किया जाएगा ?
अर्थात ओपेनली मिसयूज किया जाएगा !!
जबकि इनमें ही बहुत से इनके लीडर।
करप्शन के स्ट्रॉन्ग बेस हैं !!
सेफ हैं सुरक्षित हैं कम्प्लीटली पूर्णतः,
रूलिंग हैं इसलिए विशेष हैं।।
मुझे कठपुतली समझ बैठे हैं,
ये हुक्मरान निरी नासमझ समझ बैठे हैं।
वैसे विपक्षी चोर भृष्ट बेईमान लगते हैं,
जैसे ही दल विलय हुआ या दलबदलू !!
वही चोर श्रेष्ठ बेदाग़ महान लगने लगते हैं।
कितना दोहरा रबैया इनका मापदंड,
चाल छल अव्यवहारिक नजरिया प्रचंड।
मेरे चश्मे की नजर कमजोर नहीं हैं !
आंख बेशक हैं मेरी फिलहाल जोर नहीं हैं!
सरकार के पिंजरे की बटेर हूँ तीतर हूँ !!
मैं परतंत्र हूँ असहाय हूँ अशांत भीतर भीतर हूँ !!
रेड पुनःबोली अपनी दशा दिशा देख,
मिट रहा है शनै शनै मेरा व्यक्तित्व।
बजूद पावर विधान धमक,
और मेरा अपना निष्पक्ष अस्तित्व।
सत्तारूढ़ दल दुरुपयोग करते हैं,
यदाकदा चुनाव जीतने में प्रयोग करते हैं !!
सियासी खेल में फंस रही हूँ !
तुम्हें लगता है मैं खुश हूँ हँस रही हूँ !!
मैं रोज रोज तिल तिल पिसती हूँ,
असहज अपमानित हो भिंचती हूँ।
मन ही मन सोचती विचारती हूँ,
रोज रोज सिद्धांत ईमान हारती हूँ।
अपनी औकात को निहारती हूँ,
रेड उठी बैठी फिर आंखें रगड़ी।
तदुपरांत आदेश पत्र खोला !
फिर विपक्षी के यहाँ जाऊंगी !
डराऊंगी धमकाऊंगी लौट आऊँगीं।।
पास बैठी जांच ने प्रश्न दाग दिया।
रेड ये बताओ तुम तो स्वतन्त्र इकाई हो,
फिर भी झुकी झुकी हर बार नजर आई हो।
तुम सियासी सफर पर हो या फिर अपने !
तुम तो नीति नियम नैतिकता के साथ रहो !
दल व्यक्ति कोई हो तुम तो निष्पक्ष कहो !
रेड बोली अरे सुनो जांच डार्लिग।
मैं स्वतन्त्र फुतन्त्र दिखाबे के लिए हूँ।
ज्यादा ना खुलबाओ गार्ड को बुलबाओ
जिप्सियां धड़ाधड़ तेज गति से चल पड़ीं
जांच रेड सब कुनबे के साथ विरोधी के,
यहां दकादक दनादन पिल पड़ीं।।
✍️रचनाकार✍️
शिव शंकर झा "शिव"
स्वतन्त्र लेखक
व्यंग्यकार
शायर
२३.०८.२०२२ ०८.०८ पूर्वाह्न २०२वां