कविता🙏हाँ में हाँ मिलाने से दूर हूँ !!🙏

 

✍️कविता✍️

हाँ में हाँ मिलाने से दूर हूँ !!


मैं सदा से हाँ में हाँ मिलाने से दूर हूँ,

कदाचित इसी कारण कम मशहूर हूँ !!

तलवों को चाटने का मुझको नहीं हुनर,

इस दौर के हिसाब से पीछे जरूर हूँ।


ये आचरण ये ढंग जमाने को नहीं भाता,

बेबस हूँ मुझे हाँ में हाँ मिलाना नहीं आता। 

किताबों का शौक है किताबों से मित्रता,

गुरुओं के सबक़ उनको भुलाना नहीं आता।


गुरुओं ने जो कहा की उसकी पालना,

पाया न सीख खुद को दुनियां संग ढ़ालना।

जो सीख मुझको मेरी शिक्षा से मिली थी,

है याद अब भी पाठ हिम्मत न हारना।


हैं मित्र मेरे आज भी जो चाटुकार हैं,

है मस्तमौला आपमें जगमग सितार हैं।

लेकिन जमीं कमज़ोर उनकी है हमें पता,

इस दौर के हिसाब से बड़े होशियार हैं।


लेकिन मुझे किंचित नहीं कोई मलाल है,

हूँ मस्त अपने आप में सबकुछ कमाल है।

है उनको इनको सबको मेरी ओर से दुआ,

चलना ज़रा सँभल के जीवन का जाल है।


✍️रचनाकार✍️

शिव शंकर झा "शिव"

स्वतन्त्र लेखक

व्यंग्यकार

शायर

१४.०९.२०२२ ०५.३५अपराह्न(२१२)







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