व्यंग्य🌷नेताजी का यशोगान🌷

✍️व्यंग्य✍️

।। नेताजी का यशोगान ।।


झूठ बोल फिर नयन मिलाना,

सीख गया जो नेता वह..

काले काले उभरे उभरे दाग़ छुपाना,

सीख गया जो नेता वह..

लूट झूठ कर नोट कमाना,

सीख गया जो नेता वह..


मज़हब से मज़हब लड़वाना,

सीख गया जो नेता वह..

वादे करके नहीं निभाना,

सीख गया जो नेता वह..

काली पीली नीली गीली हवा बनाना,

सीख गया जो नेता वह..


सांझ सवेरे धोखा देना धोखा खाना, 

सीख गया जो नेता वह..

सरेआम गुंडागर्दी करि आंख लड़ाना,

सीख गया जो नेता वह..

सब कुछ खाकर बिल्ली बनना,

सीख गया जो नेता वह..


साम दाम और भेद कराना,

सीख गया जो नेता वह..

मत देना कह कर "मत" पाना,

सीख गया जो नेता वह..

जनता को खुलकर लटकाना,

सीख गया जो नेता वह..


अंधों को चश्मे पहनाना,

सीख गया जो नेता वह..

पाँच वर्ष तक छुपना छुपाना,

सीख गया जो नेता वह..

रस्सी का सांप बनाना भड़काना,

सीख गया जो नेता वह..


मित्र मित्र कह छुरा चलाना,

सीख गया जो नेता वह..

बाहों में भर कर मुस्कराना,

सीख गया जो नेता वह..

कुर्सी टेबल जूता चप्पल फेंक चलाना,

सीख गया जो नेता वह..

केवल अपना पेट बढ़ाना दाम कमाना,

सीख गया जो नेता वह..


सर्वाधिकार सुरक्षित

✍️रचनाकार✍️

शिव शंकर झा "शिव"

स्वतंत्र लेखक

०२ ०९.२०२२ ०८.३२ पूर्वाह्न(२०६वां)



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