कविता
✍️मैं कागज हूँ.✍️
✍️✍️✍️
मैं कागज हूँ केवल कागज,
मैं तेरी पहचान।
कौन कहाँ से करते क्या हो,
देता मैं प्रमाण।
अनपढ़ शिक्षित तमग़ा धारी,
करते मेरा मान।
मैं कागज हूँ केवल कागज,
मैं तेरी पहचान।
✍️✍️✍️
रिश्वत कागज रुपया कागज,
फाइल में कागज ही कागज।
नेता जी के घर में कागज,
साहब के बंगले में कागज।
लाला के गल्ले में कागज,
भावी के पल्ले में कागज।
काला कागज पीला कागज,
अर्जी कागज फर्जी कागज।
नकली कागज असली कागज,
थक जाओगे करते करते,
तुम मेरा गुनगान।
मैं कागज हूँ केवल कागज,
मैं तेरी पहचान।
✍️✍️और क्या है कागज ?✍️✍️
कागज पर जो लिखा हुआ है,
सत्य वही प्रमाण।
कागज की महिमा बहुतेरी,
परख निरख इंसान।
कागज भेजे जेल उसे भी,
जिसका ना कोई अपराध।
बरी करा दे भरी कचहरी,
रोज करे खुल्ला अपराध।
कागज रुपया कागज ताकत,
कागज बल की खान।
मैं कागज हूँ केवल कागज,
मैं तेरी पहचान।।
✍️✍️✍️
जन्म,जाति,उपजाति सब,
कागज ही बतलाता।
मूल निवास प्रमाण चरित्र सब,
कागज ही दर्शाता।
प्रार्थी रहे बोलता सच सच,
जन्मतिथि यह मेरी।
लेकिन मुंशी सत्य ना माने,
बोले कैसे मानूँ तेरी।
जाओ लाओ अपनी भैया,
लिखी छपी पहचान।
मैं कागज हूँ केवल कागज,
मैं तेरी पहचान।
✍️✍️✍️
नाम पता सच कैसे मानें,
कागज कुछ दिखलाओ।
ग्राम प्रधान,सभासद से तुम,
प्रमाणित करवा कर लाओ।
मदद नहीं कर सकते हम भी,
बिन कागज के भाई।
जाओ जल्दी ढूंढो कागज,
अपने घर पर जाई।
कागज पर सब अंकित होगा,
नाम,पता,पद,चिन्ह,निशान।
मैं कागज हूँ केवल कागज,
मैं तेरी पहचान।
✍️✍️✍️
तुम कौन हो किस नाम के,
प्रमाण देगा कागज।
किस नगर किस ग्राम के,
पहचान देगा कागज।
क्या करते हो कार्य आप जी,
बतलाता है ये भी कागज।
पत्नी जी के पती तुम्हीं हो,
सिद्ध करेगा ये भी कागज।
जिंदा करना और मारना,
कागज का है खेल।
कागज रुपया कागज डिग्री,
कागज बिन सब फेल।
मैं साँसरहित मैं चरण हीन,
पर हूँ सबसे बलवान।
मैं कागज हूँ केवल कागज,
मैं तेरी पहचान।
✍️✍️✍️
सर्वाधिकार सुरक्षित
✍️रचनाकार✍️
शिव शंकर झा "शिव"
स्वतन्त्र लेखक
व्यंग्यकार
शायर
०३.०९.२०२२ ०७.०१ पूर्वाह्न(२०७वां)
✍️मैं कागज हूँ.✍️
✍️✍️✍️
मैं कागज हूँ केवल कागज,
मैं तेरी पहचान।
कौन कहाँ से करते क्या हो,
देता मैं प्रमाण।
अनपढ़ शिक्षित तमग़ा धारी,
करते मेरा मान।
मैं कागज हूँ केवल कागज,
मैं तेरी पहचान।
✍️✍️✍️
रिश्वत कागज रुपया कागज,
फाइल में कागज ही कागज।
नेता जी के घर में कागज,
साहब के बंगले में कागज।
लाला के गल्ले में कागज,
भावी के पल्ले में कागज।
काला कागज पीला कागज,
अर्जी कागज फर्जी कागज।
नकली कागज असली कागज,
थक जाओगे करते करते,
तुम मेरा गुनगान।
मैं कागज हूँ केवल कागज,
मैं तेरी पहचान।
✍️✍️और क्या है कागज ?✍️✍️
कागज पर जो लिखा हुआ है,
सत्य वही प्रमाण।
कागज की महिमा बहुतेरी,
परख निरख इंसान।
कागज भेजे जेल उसे भी,
जिसका ना कोई अपराध।
बरी करा दे भरी कचहरी,
रोज करे खुल्ला अपराध।
कागज रुपया कागज ताकत,
कागज बल की खान।
मैं कागज हूँ केवल कागज,
मैं तेरी पहचान।।
✍️✍️✍️
जन्म,जाति,उपजाति सब,
कागज ही बतलाता।
मूल निवास प्रमाण चरित्र सब,
कागज ही दर्शाता।
प्रार्थी रहे बोलता सच सच,
जन्मतिथि यह मेरी।
लेकिन मुंशी सत्य ना माने,
बोले कैसे मानूँ तेरी।
जाओ लाओ अपनी भैया,
लिखी छपी पहचान।
मैं कागज हूँ केवल कागज,
मैं तेरी पहचान।
✍️✍️✍️
नाम पता सच कैसे मानें,
कागज कुछ दिखलाओ।
ग्राम प्रधान,सभासद से तुम,
प्रमाणित करवा कर लाओ।
मदद नहीं कर सकते हम भी,
बिन कागज के भाई।
जाओ जल्दी ढूंढो कागज,
अपने घर पर जाई।
कागज पर सब अंकित होगा,
नाम,पता,पद,चिन्ह,निशान।
मैं कागज हूँ केवल कागज,
मैं तेरी पहचान।
✍️✍️✍️
तुम कौन हो किस नाम के,
प्रमाण देगा कागज।
किस नगर किस ग्राम के,
पहचान देगा कागज।
क्या करते हो कार्य आप जी,
बतलाता है ये भी कागज।
पत्नी जी के पती तुम्हीं हो,
सिद्ध करेगा ये भी कागज।
जिंदा करना और मारना,
कागज का है खेल।
कागज रुपया कागज डिग्री,
कागज बिन सब फेल।
मैं साँसरहित मैं चरण हीन,
पर हूँ सबसे बलवान।
मैं कागज हूँ केवल कागज,
मैं तेरी पहचान।
✍️✍️✍️
सर्वाधिकार सुरक्षित
✍️रचनाकार✍️
शिव शंकर झा "शिव"
स्वतन्त्र लेखक
व्यंग्यकार
शायर
०३.०९.२०२२ ०७.०१ पूर्वाह्न(२०७वां)