कविता🌿नेता वही कहाय !!🌿

 

कविता

नेता वही कहाय !!


नेता जी जब मंच से बोलें मीठे बैन,

मीठी वाणी सुनत ही आवै भारी चैन।

आवै भारी चैन लगै सच्चौ उद्धारक, 

सच्चौ पहरेदार और अनुपम गुणधारक।


अद्भुत है व्यक्तित्व अजब फुर्तीला भी,

चमक धमक से पूर्ण गजब रौबीला भी।

शब्दों से परिपूर्ण चित्त से विकट सयाना,

मुख में मीठे बोल चरित्र का नहीं ठिकाना।


है प्रयासरत महामनुज फिर से पाने को गद्दी,

कहीं टोकरा भरा,आदमी कहीं कहीं रद्दी।

गले में स्वर्णिम चैन बगबगे बस्त्र लदे हैं,

खबरनवीसन फौज साथ में लिए खड़े हैं।


राजनीति में घुस गए काले पीले लोग, 

ना गरिमा ना लाज कुछ उल्टे सीधे बोल।

सत्ता का मद बहुत है नहीं शील का भान,

उल्टा सीधा बोलते नहीं अर्थ का ज्ञान।


छुटभैय्ये ऐसे दिखें जैसे स्वयं सम्राट,

ना वाणी ना मधुरता ऊंचे पूरे ठाठ।

जेब में रक्खी मीडिया बोलें ऐसे बोल,

क्या ऐसे बच पायेगा सत्ता रूपी ढ़ोल।


अब सत्ता में शेष कम चरित्रवान गुणवान,

जो है जितना काईयाँ वही विशेष महान।

आदर्शों की बात तो जाओ बिल्कुल भूल,

खुलेआम अब झोंकते लालमिर्च और धूल।


नेता के गुण तीन है धोखा अधर्म अनीति,

चाल छद्म और छुद्रता यही आज की नीति।

राजनीति में रिक्त पद नहीं मित्र का कोय,

मर्यादा खंडित भई गयी आदमियत खोय। 


अजब गजब हैं पैंतरे अजब निराले ढंग,

बहुत बहुत उन्नत हुए आज सियासी रंग।

धोखा देकर सामने लाज न याकूँ आय, 

हँसता फिरता घूम ले नेता वही कहाय।


येनकेन प्रकार से कर ले रोज जुगाड़,

कोरी पेलै हेकड़ी आंख मिलायै काढ़।

ऐसे ही ग़र होत रहे नए नए गुणवान,

राजनीति में पूर्णतःपतन नीति का जान।


सर्वाधिकार सुरक्षित

शिव शंकर झा "शिव"

स्वतन्त्र लेखक

व्यंग्यकार

शायर

२४.०९.२०२२ ०९.४५अपराह्न(२१६)


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