कविता✍️बदल गए शिक्षक !!✍️

 

कविता

बदल गए शिक्षक !!


कलम आपको करती वंदन पुनःपुनःआचार्य,

मिली आपसे अनुपम शिक्षा ज्ञान विज्ञ दातार।।

अक्षर ज्ञान शब्द संयोजन अनुशासन व्यवहार,

मिला आपके संरक्षण में कोटि कोटि आभार।।


तम हर लें प्रकाश भर दें वे होते शिक्षक,

अनपढ़ को विधा वर दें वे होते शिक्षक।।

अनुशासन मर्यादा संयम दया शील भंडार,

प्रस्तर को सोना कर दें वे होते शिक्षक।।


बदला दौर बदल गए शिक्षक,

बदल गए आचार विचार।।

शिक्षालय व्यवसाय बन गए,

नित नूतन बढ़ता बाजार।।


शिक्षक बदले छात्र बदल गए,

बदल गए मानक सब झार।।

शिक्षक की मर्यादा खंडित,

शिक्षा क्षेत्र हुआ व्यापार।।


पहले जब हम पढ़ते थे तब था अनुशासन,

छात्र और शिक्षक में था अनुपम अपनापन।।

हाथ पकड़ धनहीन छात्र को आगे लाते,

गुरू शिष्य के साथ खड़े पग पग दिख जाते।।


लेकिन अब ये दृश्य रसातल धँसते जाते,

धन का बढ़ता जाल गुरू बस फँसते जाते।।

यदाकदा कुछ दिव्य झांकियां दिखती अब भी,

शिक्षक शिक्षा औऱ श्रेष्ठ मानक गढ़ जाते।।


सिखलाते थे ज्ञान मुक्त व्यसनों से रहना,

मानवता के लिए सदा संकल्पित रहना।।

बड़े बनो जब ध्यान बात एक रखना बच्चो,

दया शील सद्चरित्र कर्म अनुशासित रहना।


गया पुराना काल आ गया दौर नया अब,

शिक्षक बदले और बदलता जाता अब सब।।

व्यसनों से मुक्त करें क्या? वे इसके जंजाल में,

धन वैभव ऐश्वर्य दिखाबा माया मायाजाल में।।


वन्दन अभिनन्दन है उनको जो शिक्षक हैं,

शिक्षक के गुणधर्म ज्ञान से भूषित हैं संचित हैं।।

कर्म धर्म मर्यादा संयम से परिपूरित,

🙏🏻कोटि कोटि हैं नमन आपको अगणित वंदन🙏🏻


सर्वाधिकार सुरक्षित

शिव शंकर झा "शिव"

स्वतंत्र लेखक

०५.०९.२०२२ ०६.२०पूर्वाह्न(२०८वाँ)

✍️शिक्षक दिवस पर सादर समर्पित रचना✍️




   



















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