व्यंग्य✍️नामकरण !!✍️

   

व्यंग्य

नामकरण !!

   

   नाम बदलने हेतु किये जा रहे हवन स्वस्तिवाचन से वातानुकूलित कक्ष का वातावरण देवालय सा प्रतीत हो रहा था। मानो किसी विशेष हित की पूर्ति हेतु  उपक्रम किया जा रहा हो,पता करने पर विदित हुआ,जमींदार भूमिहरण सिंह अपने सबसे खूँखार आदमखोर कुत्ते का नाम बदलने हेतु दिहाड़ी पर लाए गए पंडितों द्वारा विशाल हवन करा रहे हैं,व्रह्म मुहूर्त से मन्त्र साधना चल रही थी,गोधूलि वेला के समय काल गणना भविष्य गणना करते हुए मनीषी पंडितों ने आदमखोर कुत्ते का नाम बदलने की घोषणा कर दी शंख बज उठे ध्वनि गूँजने लगी।

       नाम दिया गया काइंड डॉग अर्थात दयालु श्वान सभी ने नाम सुनते ही तालियाँ बजाने की रश्म अदा की,इसके तदुपरान्त केक काटने का आयोजन किया गया,नर नारी सभी प्रसन्न नजर आ रहे थे कुछ समय बाद काइंड डॉग को उसकी फीमेल फ्रेंड्स के साथ केक काटने हेतु लाया गया।केक काटी गई और प्रथम ग्रास दयालु श्वान को खिलाया गया,आदतन श्वान ने सभी के समक्ष केक को जीभ से चखा और चाटा,ये देख कर सभी लोगों ने तालियों से गगन भेद डाला। ये दृश्य अच्छा भी था और विचारणीय भी! इसके बाद केक मेहमानों को ससम्मान वितरित किया गया।

सभी ने चटखारे लेते हुए केक का मजा लिया, कारण ? स्पष्ट समझ आ रहा था ये कुत्ता किसी साधारण आदमी का नहीं था,अगर केक ना खाते तो पता नहीं कब भूमिहरण सिंह किसकी भूमि का हरण कर लेता ! दिहाड़ी पर आए पंडितों ने नामकरण के समय घोषणा की थी कि अब ये आदमखोर कुत्ता किसी का भी लहू नहीं चखेगा। क्योंकिं इसका पूर्व नाम "कुत्ता" के कारण इसकी मानसिक दशा आक्रामक नरभक्षी हो गयी थी,अब इसका नाम बदलने से सब मंगल ही मंगल होगा।

    अर्थात अब इसके नाम के आगे काइंड (दयालु) शब्द जोड़ दिया गया है कुत्ता नाम के कारण जो समस्याएं उत्पन्न हो रहीं थी वे अब उत्पन्न नहीं होंगीं। अब कुत्ता को अपने कुत्तत्व को त्यागना पड़ेगा इसलिए अब कुत्ता की जगह श्वान लिपिबद्ध कर दिया गया है। अतः अब इसकी पुरानी आदतें समाप्त हो जायेगीं इसी क्षण से और इसका भय भी समाप्त हो जाएगा। इसके बाद दयालु श्वान के सिर पर सभी पंडितों ने हाथ फेरा और चिरजीवी भव होने का आशीर्वाद देते हुए चलने लगे भूमिहरण सिंह ने प्रसन्नता से उन्हें और कुछ धनराशि देते हुए विदा कर दिया।

     नगर में घोषणा कर दी गयी अब किसी को आदमखोर कुत्ते से डरने की जरूरत आवश्यकता नहीं है,क्योंकि अब उसका नाम बदल दिया गया है।नाम बदलने के प्रभाव से उसने अपने कुत्तत्व को त्याग दिया है।अनावश्यक भौंकना काटना हमला करना त्याग दिया है,लोगों को कुछ कुछ विश्वास होता जा रहा था कुछ दिन बाद कुत्ते को सुबह सैर करने हेतु बन्धन मुक्त करते हुए एकल भेजा गया,ये क्या? सामने आ रही एक भद्र महिला को देखकर उसकी आँखों में लहू उतर आया और भरी भीड़ के समक्ष दयालु श्वान उसके ऊपर चढ़ गया वस्त्र तार तार कर दिए और उसे लहूलुहान कर दिया,लोगों ने लाठियों डंडों से बमुश्किल महिला को मुक्त कराया।

  नाम बदलने के वाबजूद भी उसके स्वभाव, आचरण,चरित्र,और व्यवहार में कोई तब्दीली नहीं आयी वह पूर्व की भांति ही आदमखोर ही रहा नाम बदलने के बाद भी समस्याएं जस की तस रह सकती हैं ये भी पता चला,इसमें लाभ हुआ तो बस उन लोगों को जिन्होनें दावतें उड़ाईं और जिन्होंने दिहाड़ी बसूली ! शेष सब पूर्ववत !!

समस्या यथास्थिति रही !!


प्रश्न ये है- क्या कुत्ते कुत्तत्व के मोह से मुक्त हो सकते हैं?

या वे टांग उठाकर लघुशंका करने से बाज आ सकते हैं?

या कुत्ते का नाम बदल देने से वह गाय सा आचरण करने लगेगा?

या यूँ कहें किसी नगर स्थान का नाम बदल देने मात्र से वहाँ की सभी समस्याएं भाग जायेगीं?

क्या भृष्ट विभाग का नाम बदल देने से भृष्ट विभाग पूर्णतया ईमानदार हो जाएगा?

आखिरी में एक प्रश्न-क्या बार बार बदले की भावना या दुर्भावना से या राजनीति से प्रेरित होकर नाम बदलना समाज या देश के हित में है?

जवाब हमें खोजना है या उन्हें निर्णय करें?

 
सर्वाधिकार सुरक्षित

✍️रचनाकार✍️

शिव शंकर झा "शिव"

स्वतन्त्र लेखक

व्यंग्यकार

शायर

०७.०९.२०२२ ०६.४१अपराह्न २०९वां


    

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