🌺🌷पतीदेव की पूजा🌷🌺
वर्ष दिवस अरु रात दिन बजता जिनका बैंड,
आज एक दिन मान यश पा लेगें हसबैंड।
पा लेगें हसबैंड मिलेगी रबड़ी,पूड़ी, इज्जत,
पुनःप्रिया का राज चलेगा होगें पुनःबेज्जत।
हैं ऐसे भी पती ना जिनकी कभी पटी पत्नी से,
लेकिन वे भी आज पुजेंगे अपनी प्रिय पत्नी से।
पत्नी जी के नखरे बिखरे रहते रोज़ गुलाबी,
बाकी दिन रहती पत्नी जी पतीदेव पर हाबी।
कुछ पिटते कुछ सुनें गालियां पत्नीजी के मुख से,
कुछ झाड़ू से रहें लबालब गदगद पाकर सुख से।
बहुत बिचारे हारे मारे फिरते गली मोहल्ले,
पत्नी जी ना घास डालती घूमें निरे निठल्ले।
हैं लाचार मगर फिर भी घूमें कर ऊँचा माथा,
जैसे इनकी फैल रही हो चहुंदिश गौरव गाथा।
भीगी बिल्ली से छुप जाते पत्नी जी के आगे,
आगे पीछे आंखें मींचे पत्नी जी लखि भागे।
रोज पुजें जो अलग विधी से आज सुखद तिथि आई,
उनकी भी अब होगी पूजा जिनकी होती रही ठुकाई।
मान मिलेगा ज्ञान मिलेगा और मिलेगा नेह,
है अद्भुत भारत की नारी नही तनिक संदेह।
है मर्यादा से पूरित वह मंडित है व्रतधारी,
भारत की हैं दिव्य नारियां जय जयकार तुम्हारी।
जिनने अपनी दिव्य शक्ति से जीवित पती कराए,
शक्ती की ये तपोभूमि है सकल सृष्टि गुण गाये।
शिव शंकर झा "शिव"
स्वतन्त्र लेखक
व्यंग्यकार
शायर
१३.१०.२०२२ ०८.५२ पूर्वाह्न(२२२)
🙏✍️करवाचौथ पर विशेष✍️🙏