कविता✍️हेलमेट से यारी !!✍️

 

कविता

हेलमेट से यारी !!


फर्राटे भर भर दौड़ावत,

बिना हेलमेट बाइक।।

दुर्घटना ग़र घटी सड़क पर, 

कोई नहीं सहायक !!

बात हमारी मानो भैया,

सड़क नियम अपनाओ।।

ये जीवन है राष्ट्र का कर्ज़ा,

यूँ हीं नहीं गँवाओ।।


पुलिस खड़ी मुस्तैद मार्ग में,

चकमा दे तुम भागो !!

चौराहों पर राजमार्ग पर,

पुलिस देख मग त्यागो !!

लगता तुमको बड़े चतुर हो,

नहीं चतुर तुम भाई।।

यहाँ तो बस चालान कटेगा,

होगी शायद उधर विदाई।।


मात पिता के सपने तुम हो,

कर्ज उन्ही का भारी।।

शीटबेल्ट से करो दोस्ती,

हेलमेट से कर लो यारी।।

सच्चे दोस्त मार्ग में ये ही,

बात पते की मानो।।

हम तो बस तुमको समझाते,

भला बुरा स्वयं जानो।।


बहुत नाज़ नखरों से पोषित,

होता युवा जवान।।

सड़क उसी का रक्त चाटती,

बचता नहीं निशान।।

घाव बहुत गहरा और भारी,

स्वजन मातु पितु पाते।।

तुम तो बस मदमस्त नशे में,

फर्राटे भर भर मुस्काते।।


कुछ ही क्षण में खतम होत है,

नासमझी से जीवन।।

सड़क कठोर ह्रदय से पूरित,

नहीं दया ना सीवन।।

गतिसीमा को करो नियंत्रित,

बुरा भला ख़ुद जानो।।

है जीवन अनमोल धरोहर,

बात पते की प्यारे मानो।।


सर्वाधिकार सुरक्षित

शिव शंकर झा "शिव"

स्वतन्त्र लेखक

व्यंग्यकार

शायर

१६.१०.२०२२ ०९.०३ पूर्वाह्न(२२३)


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