।।कविता।।
ज्वालाओं से लड़ना होगा !!
पग पग पर वाधाएँ आएं,
चले पवन लेकर ज्वालाएं।।
शांति चित्त मग चलना होगा,
ज्वालाओं से लड़ना होगा।।
घोर घटाएं काले बादल,
तम छल बल का दावानल।।
नित नूतन बल भरना होगा,
ज्वालाओं से लड़ना होगा।।
मुख सुंदर वाणी भी सुंदर,
परखो लेकिन क्या है अंदर।।
पग पग सध सध धरना होगा,
ज्वालाओं से लड़ना होगा।।
सूर्य चमकता प्रतिदिन चलता,
समय बदलता कौतुक करता।।
जुड़ कर सबसे चलना होगा,
ज्वालाओं से लड़ना होगा।।
विनय शील अब नहीं सुहाते,
सच्चे वचन ह्रदय सुलगाते।।
स्वप्न स्वयं का बुनना होगा,
ज्वालाओं से लड़ना होगा।।
है निश्चित मानव दल गहरा,
लेकिन ज्यादातर है बहरा।।
इनको स्वयं सब सुनना होगा,
ज्वालाओं से लड़ना होगा।।
होगें बहु षणयंत्र राह में,
बैठे हैं बहु शकुनि चाह में।।
इन्हें इन्हीं से छलना होगा,
ज्वालाओं से लड़ना होगा।।
हो बेशक विपरीत दिशाएं,
अरि दल भीषण सेना लाएं।।
ध्वज लहराकर बढ़ना होगा,
ज्वालाओं से लड़ना होगा।।
लोकतंत्र हम सबका अपना,
देश हमारा प्यारा अपना।।
बात निडर हो कहना होगा,
ज्वालाओं से लड़ना होगा।।
जीवन हो जीवन के जैसा,
नाम काम कुछ तो हो ऐसा।।
सँभल सँभल डग भरना होगा,
ज्वालाओं से लड़ना होगा।।
✍️सर्वाधिकार सुरक्षित✍️
शिव शंकर झा "शिव"
स्वतन्त्र लेखक
व्यंग्यकार
शायर
०८.१०.२०२२ ०८.४३ पूर्वाह्न(२२१)