शेरो-शायरी
✍️✍️चलो चलें !!✍️✍️
ना ग़म बताने आए,ना आया इश्क फ़रमाना।
रिश्ते लहू के क्यों,कमज़ोर होते जा रहे हैं।
किसलिए हम,ख़ुद ही ख़ुद से दूर होते जा रहे हैं।
चलो चलें दूर कहीं ,जहाँ इक सुकूँ की रात हो।
हम भी अपना दर्द कह लें,और खुलके बात हो।
दिल भी है जज़्बात भी हैं,और इक कहानी भी।
एहसास भी दर्द भी,और आंखों में पानी भी।
मैं भी इक सफ़र पर हूँ ,आप भी करते सफ़र।
मुसाफ़िर हैं यहाँ हम सब,न तेरा घर न मेरा घर।
चलो चलें अज़ीज,यादों की,परतें खोल कर देखें।
एक बार ही सही ख़ुद से,ख़ुद सच बोलकर देखें।
नज़र आ जाएंगे सब दाग़,और लम्हात ख़ुद अपने।
ईमान की तराजू पर,ख़ुद ही ख़ुद को तौलकर देखें।
घुटन को दूर कर, कुछ वक़्त जी मस्ती लुटा।
ख़ुद से कर ले दोस्ती चल मुस्करा।
तुम भी ग़फ़लत में रहे,और मैं भी बेवज़ह।
सब उसी की कारसाजी,नज़र ना आयी वज़ह।
शिव शंकर झा "शिव"
स्वतन्त्र लेखक
व्यंग्यकार
शायर
२५.१०.२०२२ १०.३८ अपराह्न(२२७)